शनिवार, 26 नवंबर 2011

कैसी होगी वो मुलाकात |



जाने दिन होगा या रात
कैसी होगी वो मुलाकात,
अंधियारे को भेदती 
मंद मंद चाँद की चांदनी 
और हल्की सी बरसात 
कुछ शरमीले से भाव 
कुछ तेरी कुछ मेरी बात 
अनजाने से वो हालत 
कैसी होगी वो मुलाकात |

आलम-ए-इश्क वजह 
बन तमन्नाओं से 
सराबोर निगाहों के साये 
में हुयी तमाम बात 
तकते हुए नूर को तेरे
ठहरी हुयी सी आवाज 
अनजाने से वो हालात
कैसी होगी वो मुलाकात | 

4 टिप्पणियाँ:

sandhya ने कहा…

khubsurat rachna

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत होगी मुलाकात..... बेहतरीन प्रस्तुती....

kshama ने कहा…

Waqayee badee pyaree rachana hai.

Vandana Ramasingh ने कहा…

कोमल भावों से सजी रचना

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