कैसी होगी वो मुलाकात,
अंधियारे को भेदती
मंद मंद चाँद की चांदनी
और हल्की सी बरसात
कुछ शरमीले से भाव
कुछ तेरी कुछ मेरी बात
अनजाने से वो हालत
कैसी होगी वो मुलाकात |
आलम-ए-इश्क वजह
बन तमन्नाओं से
सराबोर निगाहों के साये
में हुयी तमाम बात
तकते हुए नूर को तेरे
ठहरी हुयी सी आवाज
अनजाने से वो हालात
कैसी होगी वो मुलाकात |
4 टिप्पणियाँ:
khubsurat rachna
बहुत ही खुबसूरत होगी मुलाकात..... बेहतरीन प्रस्तुती....
Waqayee badee pyaree rachana hai.
कोमल भावों से सजी रचना
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