गुरुवार, 3 नवंबर 2011

राजनेताओं के नए-नए रूप

पांच राज्यों का चुनाव सिर पर आया कि यात्राओ का दौर शु्रू हो गया है। कोई राजनेता जनचेतना यात्रा पर तो कोई राज्यों की यात्रा पर है। कुछ लोग व्रत रखते हैं। तो कुछ लोग दलितों के घर-घर जा कर भोजन कर रहे हैं। आज के जमाने में पता न क्यों व्रतों का दौर शुरु हो गया है। अगर देश में व्रत रखने से राजनेता सोचते हो कि इससे जनता को शांति मिलगी तो सोचना गलत है। शांति तो जनता को तब मिलेगी जब आम आदमी के जेब में कुछ रोकड़े हो।

परन्तु इस मंहगाई ने यात्राओं की गति तेज कर दी है। लगता है इन राजनेताओं से ज्यादा हितैषी कोई नही है। जो जगह-जगह रैलियां कर हितैषी होने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। गांव-गांव में जाकर चौपाल लगाई जाती है। प्रदेश मे नही विकास होने का रोना रोया जाता है। जहां पर उस नेता के पार्टी की सरकार है वहां पर जनता कैसे जी रही है आप खुद देख सकते हैं। दिनों-दिन बढ़ती महंगाई का जिम्मेदार कौन है।


जनता भी कितनी मासूम है जो नेताओं के बहकावे में आ जाती है। और क्षण भर में स्वार्थी राजनेताओ को अपना हितैषी समझ बन बैठते हैं। अपना कीमती वोट देकर संसद और विधान सभा में नेताओं को भेजते हैं। हमारे राजनेता जब सांसद और विधायक बन जाते हैं तो घोटाले करते हैं। कंपनियो को घाटा का हवाला देकर कीमतें बढ़ाई जाती हैं। तब कोई राजनेता गरीब किसानों का हितैषी नही बनता।
सडकों पर सोने वाले लोग तब याद नही आते।
चुनाव नजदीक आने पर अनेको दल लोक लुभावन वादे कर पांच साल के लिए चले जाते हैं। सत्ता मिली तो वाह-वाह नही तो गरीबों का मसीहा तो बन ही बैंठते हैं। ऐसे हैं हमारे देश के राजनेता। जब चुनाव आता है न राजनेता बरसाती मेढ़कों की तरह सड़कों पर कुर्ता-पायजमा पहनकर टर्र-टर्र करते नजर आते हैं।

0 टिप्पणियाँ:

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification