शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

मेरा विचार.................. सौरभ दुबे


अरे उनका जीवन क्या जीवन है ,जो दुनिया वालों से नैन लगाते है ,
बेकार है जीना क्या मिलेगा दुनिया वालों से नैन मिला के दुनिया वाले तो कुछ समय 
के लिये नैन मिलाते है साहब ,और मौका पड़ते ही और मौका फ्रस्त है ये लोग जब  आपको मौका पड़ेगा जरूरत 
पड़ेगा तो आपको छोड़ के चले जायेंगे  लेकिन इश्वर जब आपको जरूरत रहेगी तभी सामने आएगा 
इसलिए दुनिया वालों से नहीं इश्वर से नैन मिलाओ ,जब नैन मिलाना ही है तो हम इश्वर से क्यों ना 
मिलाएं  इसलिए....................
    आजा मिलाले मेरे नैनो से नैना ,तुम बिन मोहि चैन पड़े ना 
    आजा मिलाले मेरे नैनो से नैना ,तुम बिन मोहि चैन पड़े ना 
    नैनो से नैना मिलाले ,नैनो से नैना मिलाले 
    आओ श्याम जी कन्हैया नन्द लाल जी 
    मेरे प्राणों से प्यारे गोपाल जी 
  आओ श्याम जी कन्हैया नन्द लाल जी 
    मेरे प्राणों से प्यारे गोपाल जी 
         राधे    राधे    राधे   राधे     
  इश तरह आखों से आँखों मिलाके तेरा दूर जाना सुहाता नहीं है ,
  हमारे आने पर यू पर्दा लगाना  हमे भाता नहीं है 
  चले थे दीदार पाने को तेरा , अपने जहाँ को छोडकर 
  चले थे दीदार पाने को तेरा , अपने जहाँ को छोडकर 
  लेकिन तेरा यू मुह मोड़ लेना भाता नहीं है  
                                 धन्यवाद 
                                                 सौरभ दुबे 
      

1 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

वाह सौरभ जी, क्या बात आज यह कवी पूरे जोशो खरोश में है.

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