दम पे जिसके
संसार चल रहा
वह षकित
वह ज्योति
मां तुम्हीं हो
ममता की मूरत
ज्ञान की सूरत
सहन शकित साक्षात
षकित स्वरूपा
मां तुम्हीं हो
(photo from google)
वह लौ जो जल रही
जो ना बुझी
ना बुझने वाली है
वह अदृष्य लौ
मां तुम्हीं हो
समस्त सृशिट के प्राणी
जीवित हैं जिसे षकित से
कर लेते वो काम सदा
जो कठिन सा लगता है
वह षकित
मां तुम्हीं हो
सुबा-षाम नमन करते
सुर-नर पंकित बद्ध खड़े हुए
बजती जो आवाज
मूक स्थलो में
वह आवाज
मां तुम्हीं हो
- मंगल यादव,
हरियाणा न्यूज
मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011
....मां तुम्हीं हो
10/04/2011 01:17:00 am
mangal yadav
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