बुधवार, 14 सितंबर 2011

मार्तु-भाषा हिन्दी की जय हो ..!!!


हिन्दी से सबको सबसे, हिन्दी को है पूरी आशा ,
फले-फूले दिन-रात चौगुनी ,जन-मानस की भाषा ।
इसमें निहित है हमारे पूरे , देश राष्ट्र -धर्म की मर्यादा ,
जितना इसका मंथन होता ,बढ़े ज्ञान अमृत और ज्यादा ।
बदल रहें इसके कार्य -क्षेत्र ,बदल रही सीमा परिभाषा,
आभाषी मन मचल रहे हैं ,ले एक नयी उर में जिज्ञाषा ,
इसमें समाहित है महा-कुम्भ ,रस, श्रृंगारों,भावों और छंदों का ,
हर शंकाओं-आशंकाओं का समाधान ,मन के अन्त्रद्व्न्धों का ।
हर भाषा है महान देश के साहित्यिक -गौरव की समृधि है ,
'कमलेश' पर हर भाषा की सिरमौर ,मार्तु -भाषा ''हिन्दी'' है ॥...जय-हिन्दी ........


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