मनु सृजन!!!: मुस्कुराना तेरा: खिन्न हो मन
या उठ रहा हो
गुस्से का गुबार,
संकोच में घेरा हो
या झेल रहे हों
कोई संताप,
उदासी का आलम हो
या हो सुखो का
वनवास,
कर देता है,
आसन,
हर मुश्किलों को,
ये,
"मुस्कुराना तेरा"
रविवार, 4 सितंबर 2011
मनु सृजन!!!: मुस्कुराना तेरा
9/04/2011 01:11:00 am
Manoranjan Manu Shrivastav
2 comments
2 टिप्पणियाँ:
YOU'R VERY TRUE .OUR DEAR ONE'S SMILE MAKE US CHEERFUL .THANKS A LOT .
sundar abhivaykti....
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