रविवार, 4 सितंबर 2011

मनु सृजन!!!: मुस्कुराना तेरा

मनु सृजन!!!: मुस्कुराना तेरा: खिन्न हो मन
या उठ रहा हो
गुस्से का गुबार,

संकोच में घेरा हो
या झेल रहे हों
कोई संताप,

उदासी का आलम हो
या हो सुखो का
वनवास,

कर देता है,
आसन,
हर मुश्किलों को,
ये,
"मुस्कुराना तेरा"

2 टिप्पणियाँ:

Shikha Kaushik ने कहा…

YOU'R VERY TRUE .OUR DEAR ONE'S SMILE MAKE US CHEERFUL .THANKS A LOT .

विभूति" ने कहा…

sundar abhivaykti....

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