रविवार, 21 अगस्त 2011

कृष्ण जन्माष्टमी ......पद...ड़ा श्याम गुप्त ...

बृज की भूमि भई है निहाल |
आनंद-कंद प्रकट भये बृज में,विरज भये बृज ग्वाल |
 सुर गन्धर्व अपछरा गावंहि, नाचहिं  दै दै ताल |
आशिस देंय विष्णु ब्रह्मा शिव, मुसुकावैं गोपाल |
 जसुमति द्वारे बजै बधायो,  ढफ ढपली खड़ताल |
पुरजन परिजन हरख मनावें, जनमु लियो नंदलाल |
बाजहिं, ढोल, मृदंग ,मंजीरा,  नाचहिं  बृज के बाल | 
सुर दुरलभ छवि निरखि-निरखि छकि श्याम' भये हैंनिहाल ||

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