बुधवार, 3 अगस्त 2011

गांधी जी के तीन बन्दर........

व्यंग्य कविता.... 

हमारे मित्र गांधी जी
हमसे बोले नीलू जी ..
गांधी जी के तीन बन्दर का अर्थ 
हम समझाने में है असमर्थ 
हमने कहा ओहो  गांधी जी,
गांधी होकर गांधी जी के बंदरो को न समझ पायें
आइये हम आपको समझायें

- गांधी जी का पहला बन्दर
करवाता है जार्ज बुश दर्शन
कहता है कानों पर हाथ रख 
अपनी अपनी धुनों 
किसी की मत सुनो
- गांधी जी का दूसरा बन्दर
करवाता है मुशर्रफ दर्शन
कहता है आँखों पर रख हाथ 
अपनी अपनी रोटी सेंको
बाकि किसी की मत देखो
- गांधी जी का तीसरा बन्दर
इसके गुण है नेताओं के अन्दर
कहता है मुह पर हाथ रख
जितना पचा सकते हो पचइयो
मगर सभी को गुपचुप खाइयो !!!!

नीलकमल वैष्णव "अनिश" कोसीर........
www.neelkamalkosir.blogspot.com

2 टिप्पणियाँ:

तेजवानी गिरधर ने कहा…

क्या दिलचस्प व्याख्या है

saurabh dubey ने कहा…

kya likha hai

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