गुरुवार, 7 जुलाई 2011

चलो कुछ करते है !!

आर्थिक भ्रष्टाचार पर जितनी बातें अब हो रही है शायद पहले कभी नहीं हुई . यह भी उतना ही सही है कि इससे लड़ने के जितने प्रयास अब हुए है पहले कभी नहीं हुए . जिसने भी इससे लड़ने का बीड़ा उठाया उसके दामन पर दाग लगे और इतना हडकाया गया कि मूल मुद्दे को छोड़ कर पहले अपना बचाव करने में उसे अपनी उर्जा नष्ट करना पड़ी . गुजरात के मुख्य मंत्री की सहायक रेनू पोखरना ''वाल स्ट्रीट जर्नल '' में लिखती है कि लोक पाल से पहले सिविल सर्विस में सफाई के लिए संसद में बिल लाया जाना चाहिए . संभवतः उनके कहने का आशय है कि सफाई कि शुरुआत ईमारत के गुम्बद से न होकर रोशनदान से होना चाहिए .चूँकि लोकपाल जनप्रतिनिधियों को दायरे में लाने की बात कर रहा है , इसलिए शोर शराबा कुछ ज्यादा है .जबकि नोकरशाही की तरफ से प्रतिरोध इतना प्रबल नहीं रहना है . दूसरी और विख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्यसेन का मानना है कि भारत में भ्रष्टाचार नहीं बड़ा है वरन उसमे शामिल पैसे का आकार बड गया है. अपनी थ्योरी को आगे बढ़ाते हुए वे कहते है कि ' बहुसंख्य वर्ग आज भी इस बात पर अडिग है कि इस बीमारी का इलाज प्रजातांत्रिक तरीके से हो सकता है .
गेंद अब आपके हमारे पाले में है . हमें अपने अवचेतन से आलोकिक व्यक्तिव के नायको का अनुसरण करने की प्रवृति को छोड़ना होगा . हर समस्या के निदान के लिए आम जन को ही पहल करना होगी . यह ये भी हो सकती है कि हम प्रण करे कि अपने परिवार या मित्र वर्ग में भ्रष्टाचार से कमाए धन का सार्वजनिक विरोध करे .
यह आसान नहीं है. परन्तु पहल किसी को तो करना ही होगी . फिल्म 'दिवार' के नायक को याद कीजिये . उसकी माँ और छोटा भाई उसका घर महज इसलिए छोड़ देते है कि नायक ने तस्करी के माध्यम से दौलत का ढेर खड़ा किया है .

हमारे बशीर बद्र साहब बरसों से दोहरा रहे है '' एक पत्थर तो पुरजोर उछालो यारों , कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता ''


2 टिप्पणियाँ:

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

आपकी बातों से सहमत हूं। मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम में भले ना समय दे पा रहे हों, पर वो इतना तय कर लें कि कितना बड़ा नुकसान हो जाए, लेकिन भ्रष्टाचार को बढावा नहीं देंगे। यानि किसी नेता, नौकरशाह या बाबू को रिश्वत नहीं देंगे। देखिए शायद कुछ बात बनें।

rubi sinha ने कहा…

mahendra ji ke vicharo se sahmat....

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