कोयल खुशी से
कूंक रही
कूंक रही
डाली डाली नाच रही
महीनों की गर्मी के बाद
वर्षा से राहत मिली
हरयाली की उम्मीद ने
आवाज़ में मिश्री घोल दी
वर्षा रुक नहीं रही
निरंतर बरसती रही
पेड़ों पर घोंसलों को
धरती पर घरों को
पानी से तहस नहस
करती रही
अति कभी अच्छी
नहीं होती
बेघर हो जाने के बाद
कोयल को
समझ में आ गयी
15-07-2011
1188-71-07-11
3 टिप्पणियाँ:
बहुत खुबसूरत....
इसे कहते हैं...अतिवृष्टि...
खुबसूरत....
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