शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

अति कभी अच्छी नहीं होती

कोयल खुशी से 
कूंक रही
डाली डाली नाच रही
महीनों की गर्मी के बाद
वर्षा से राहत मिली
हरयाली की उम्मीद ने
आवाज़ में मिश्री घोल दी
वर्षा रुक नहीं रही
निरंतर बरसती रही
पेड़ों पर घोंसलों को
धरती पर घरों को
पानी से तहस नहस
करती रही
अति कभी अच्छी
नहीं होती
बेघर हो जाने के बाद 
कोयल को 
समझ में आ गयी
15-07-2011
1188-71-07-11

3 टिप्पणियाँ:

विभूति" ने कहा…

बहुत खुबसूरत....

Vaanbhatt ने कहा…

इसे कहते हैं...अतिवृष्टि...

rubi sinha ने कहा…

खुबसूरत....

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification