चलो लिखो इक और दर्द ,दिल की किताब में ,
इक और पन्ना जुड़ गया ,नाकामी के हिसाब में ,
कितने रख रखें हैं ,सब्र के प्याले हम सबने ,
भरते ही नही ,रहते हैं खाली बे-हिसाब में ,
बरसों से पता है हम सबको जड़ ,इस नासूर की ,
दूर से चमकता है इनका पता, सतलुज-रावी-चिनाब में .
पर हम हैं ''शांति के पुजारी' सम्पूर्ण विश्व है जानता ,
तभी तो हम खोजते हैं ''शांति ''जरिये कातिल 'कसाब 'में ,
हम बन चुके हैं 'महाशक्ति ' इसका खुब गुमान कीजिये ,
पर ''कमलेश''निकलना पड़ेगा बे-शर्मी के हिजाब में ..
गुरुवार, 14 जुलाई 2011
चलो लिखो इक और दर्द .....
7/14/2011 08:49:00 pm
कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹
3 comments
3 टिप्पणियाँ:
हम बन चुके हैं 'महाशक्ति ' इसका खुब गुमान कीजिये ,
पर ''कमलेश''निकलना पड़ेगा बे-शर्मी के हिजाब में
bahut sahi kaha kamlesh ji.
बिलकुल सही कहा आपने...
बिलकुल सही कहा आपने...
एक टिप्पणी भेजें