गुरुवार, 14 जुलाई 2011

चलो लिखो इक और दर्द .....

चलो लिखो इक और दर्द ,दिल की किताब में ,
इक और पन्ना जुड़ गया ,नाकामी के हिसाब में ,

कितने रख रखें हैं ,सब्र के प्याले हम सबने ,
भरते ही नही ,रहते हैं खाली बे-हिसाब में ,

बरसों से पता है हम सबको जड़ ,इस नासूर की ,
दूर से चमकता है इनका पता, सतलुज-रावी-चिनाब में .

पर हम हैं ''शांति के पुजारी' सम्पूर्ण विश्व है जानता ,
तभी तो हम खोजते हैं ''शांति ''जरिये कातिल 'कसाब 'में ,

हम बन चुके हैं 'महाशक्ति ' इसका खुब गुमान कीजिये ,
पर ''कमलेश''निकलना पड़ेगा बे-शर्मी के हिजाब में ..

3 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

हम बन चुके हैं 'महाशक्ति ' इसका खुब गुमान कीजिये ,
पर ''कमलेश''निकलना पड़ेगा बे-शर्मी के हिजाब में
bahut sahi kaha kamlesh ji.

विभूति" ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने...

rubi sinha ने कहा…

बिलकुल सही कहा आपने...

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification