शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

मनु सृजन!!!: लटों का लहराना

उन लहराते लटो को,

जब झटकती हो अपने चेहरे से,
तो सोचती होगी शायद तुम,
"कम्बख्त, आ जाते हैं,
बार बार चेहरे के आगे."
पर लटों को भी,
लहराना अच्छा लगता होगा,
मना करने पे भी कोई बात न माने,
यूँ ही नहीं होता

0 टिप्पणियाँ:

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification