उन लहराते लटो को, जब झटकती हो अपने चेहरे से,तो सोचती होगी शायद तुम, "कम्बख्त, आ जाते हैं, बार बार चेहरे के आगे." पर लटों को भी,लहराना अच्छा लगता होगा,मना करने पे भी कोई बात न माने,यूँ ही नहीं होता
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
मनु सृजन!!!: लटों का लहराना
7/29/2011 11:18:00 pm
Manoranjan Manu Shrivastav
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