शनिवार, 30 जुलाई 2011

जीने की हसरत अभी बाकी थी

दिन भर की मेहनत से

थका मांदा बीमार

वृद्ध मजदूर

पेड़ के नीचे बैठा

चिंता में डूबा था

उसके बाद परिवार का

क्या होगा ?

अपाहिज बेटी,

अंधी पत्नी का

जीवन कैसे कटेगा ?

चेहरा चिंता को

स्पष्ट बयान कर रहा था

ज़िन्दगी की धूप में बहुत

झुलसा

थोड़ा और झुलसना

चाहता

अब शाम के धुंधलके में

काली रात का डर

लग रहा

दिल में जीने की हसरत

अभी बाकी थी

यादों के झरोके से

थोड़ी सी धूप चुरा ले

फिर से जवान हो जाए

रात का फासला

थोड़ा सा और बढ़ जाए

किसी तरह परमात्मा

जीवन के

कुछ साल और बढ़ा दे

30-07-2011

1272-156-07-11

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