रविवार, 31 जुलाई 2011

प्रेम काव्य-. षष्ठ सुमनान्जलि--रस श्रृंगार--संयोग -अन्तिम गीत-९ ----डा श्याम गुप्त






प्रेम
-- किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भा
व है | प्रस्तुत है ..षष्ठ -सुमनान्जलि....रस श्रृंगार... इस सुमनांजलि में प्रेम के श्रृंगारिक भाव का वर्णन किया जायगा ...जो तीन खण्डों में ......(क)..संयोग श्रृंगार....(ख)..ऋतु-श्रृंगार तथा (ग)..वियोग श्रृंगार ....में दर्शाया गया है...


1 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

तरीका क्या है सम्मिलित होने का ..कुछ समझ में नहीं आरहा....

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification