गुरुवार, 28 जुलाई 2011

मनु सृजन!!!: आंसू

भावनाओ को मूक आवाज़ होते हैं,

ख़ुशी और गम दोनों में गालो को भिगोते हैं,

गौर से देखिएगा इन आसुओं को,

हमारे साथ वो भी हंसते रोते हैं .

2 टिप्पणियाँ:

nilesh mathur ने कहा…

बहुत सुंदर।

तेजवानी गिरधर ने कहा…

इसे कहते हैं चंद पंक्तियों का कमाल

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