भावनाओ को मूक आवाज़ होते हैं,ख़ुशी और गम दोनों में गालो को भिगोते हैं,गौर से देखिएगा इन आसुओं को,हमारे साथ वो भी हंसते रोते हैं .
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
मनु सृजन!!!: आंसू
7/28/2011 03:05:00 pm
Manoranjan Manu Shrivastav
2 comments
भारतीय ब्लोगरों तथा लेखकों का एक सशक्त परिवार
भावनाओ को मूक आवाज़ होते हैं,ख़ुशी और गम दोनों में गालो को भिगोते हैं,गौर से देखिएगा इन आसुओं को,हमारे साथ वो भी हंसते रोते हैं .
2 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर।
इसे कहते हैं चंद पंक्तियों का कमाल
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