सोमवार, 4 जुलाई 2011

अब बदनाम ही रुतबे वाला है !

अब बदनाम ही रुतबे वाला है !


कल के दैनिक हिंदुस्तान में एक खबर पढ़कर मेरा मन घृणा से भर उठा .शीर्षक था -''जेल से छूटते ही मरिया का महिमामंडन शुरू ''.नीरज ग्रोवर हत्या कांड में सबूत मिटाने वाली क्रूर ह्रदय मारिया सुसाईराज तीन साल की सजा काटकर शनिवार को जेल से रिहा हो गयी .ऐसी दुष्ट औरत के साथ समाज यदि कठोर रुख नहीं अपना सकता तो यह भी तो शोभा नहीं देता कि उसको तथाकथित ''स्टार'' का दर्जा प्रदान किया जाये पर इलेक्ट्रौनिक मीडिया से लेकर फिल्म निर्माता तक उसकी बदनामी को भुनाने के लिए उसके आगे-पीछे चक्कर लगा रहें हैं .अख़बार में इस बदनामी को ''लोकप्रियता'' कहा गया है .संवाददाता को दस बार विचार करना चाहिए था इस एक शब्द ''लोकप्रियता 'को लिखने से पहले .यदि यही लोकप्रियता है तो फिर तो आज भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय ''अजमल कसाब ''है .रामगोपाल वर्मा ने खुलेआम मरिया पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की है ,कलर्स चैनल ''बिग बौस'' में लेने के लिए उत्सुक है -आखिर क्यों ?ये हम दर्शकों को भी सोचना है .मारिया के प्रति आप क्या मेरे जैसे विचार नहीं रखते -


''जो टुकड़े जिस्म के नीरज के किये थे

ए-मारिया भला वे छिप सके कहाँ ?

मुझको तो तेरी सूरत पर

अब भी नजर आते हैं ''

ऐसी क्रूर अभिनेत्री पर तो आजीवन फिल्मों में काम करने पर प्रतिबन्ध होना चाहिए और ऐसी क्रूर स्त्री को जो ''स्टार'' का दर्जा दें वे इन्सान नहीं शैतान ही हैं -


'' उस इन्सान के भीतर शैतान भी है रहता

जो कातिलों को आज भगवान कह रहा है ''

शिखा कौशिक

http://vicharonkachabootra.blogspot.com

8 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

उस इन्सान के भीतर शैतान भी है रहता
जो कातिलों को आज भगवान कह रहा है ''
bahut khoob.kavya aur gadya dono par majboot pakad.pooori tarah se sahmat.

shyam gupta ने कहा…

-----एक दम सशक्त, सटीक व सामयिक आलेख है...---ऐसे लोगों का तो सामाजिक वहिष्कार होना चाहिए ..

--इन पैसे के अन्धों को धंधे के सिवाय कुछ सूझता ही नहीं है...इन लोगों की माँ, पत्नी, बेटियाँ क्या इन्हें कुछ सीख नहीं देतीं ...वे भी खूब धन-संपत्ति खेलकर ..इस अनैतिकता में भागीदार हैं....
---महिला शक्ति को जागना होगा ....सिर्फ पुरुषों की नक़ल व फैशन और बड़ी बड़ी बातों से कुछ नहीं होगा....वे महिला -आयोग वाली क्या कर रहीं हैं....टुच्चे -मुच्चे कामों पर पुरुषों के विरोध में झंडा उठाकर बस इतरा लेती हैं...

विभूति" ने कहा…

sahi kaha apne...

virendra sharma ने कहा…

अपराध का महिमा मंडन ग्लेमराई -जेशन यही तो खबर की परिभाषा में आता है .सारा प्रशिक्षण ही मीडिया का नकारात्मक करिश्माई सोच पर टिका है .

हरीश सिंह ने कहा…

सही समय पर सही प्रस्तुति, मिडिया को बस मसाला चाहिय ताकि टी आर पी बढे और विज्ञापन मिले. पर यह भी तो हो सकता है की मरिया निरपराध हो. आपने अच्छा विषय उठाया है.

shyam gupta ने कहा…

सही कहा हरीश जी...यह भी तो हो सकता है की मरिया निरपराध हो---परन्तु तब तक मीडिया आदि को वहिष्कार रखना चाहिए ....जब तक वे निर्दोष
सिद्ध न होजायं ...या खोज करके सत्य सामने लाने के लिए कार्य करना चाहिए ...

Dr. Yogendra Pal ने कहा…

बहिष्कार होना ही चाहिए पर कैसे? लोग तो उसी को देखना चाहते हैं- इस समय उसका चेहरा कीमती है तो उस पर छोटा तथा बड़ा दोनों पर्दे मेहरबान होंगे ही|

श्री राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा|
हंस चुगेगा दाना चुग्गा कौआ मोती खायेगा ||

Unknown ने कहा…

jab bade log hi support kar rahe hain toh aam aadmi se kya ummeed ki jaye.....

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