शनिवार, 25 जून 2011

साथ

साथ
हर दुःख को हम सह जाते हैं;
आंसू अपने पी जाते हैं ;
जब तक मौत नहीं आती
जीवन का साथ निभाते हैं .

हर दिन आती हैं बाधाएँ;
पैने कंटक सी ये चुभ जाएँ;
दुष्ट निराशा तेज ताप बन
आशा-पुष्पों को मुरझाएं;
फिर भी मन में धीरज धरकर
पग-पग बढ़ते जाते हैं .
जब तक .......

पल-पल जिनके हित चिंतन में
उषा-संध्या-निशा बीतती ;
वे अपने धोखा दे जाते
घाव बड़े गहरे दे जाते ,
भ्रम में पड़कर ;स्वयं को छलकर
नया तराना गाते हैं .
जब तक मौत .....

अपमान गरल पी जाते हैं;
कुछ कहने से कतराते हैं ;
झूठ के आगे नतमस्तक हो
सच को आँख दिखाते हैं ;
आदर्शों का गला घोटकर
हम कितना इतराते हैं !
जब तक ......
शिखा कौशिक

3 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

साथ हर दुःख को हम सह जाते हैं;आंसू अपने पी जाते हैं ;जब तक मौत नहीं आतीजीवन का साथ निभाते हैं .हर दिन आती हैं बाधाएँ;पैने कंटक सी ये चुभ जाएँ;दुष्ट निराशा तेज ताप बन आशा-पुष्पों को मुरझाएं;फिर भी मन में धीरज धरकरपग-पग बढ़ते जाते हैं
dil ko chhone vali kavita likhi hai aapne aabhar.

विभूति" ने कहा…

sarthak abhivakti....

rubi sinha ने कहा…

sundar abhivyakti

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