गुरुवार, 9 जून 2011

आप अपने दीपक ख़ुद बन जाइये


यह देश धर्म-अध्यात्म प्रधान देश है तो यहां सबसे बढ़कर शांति होनी चाहिए।
अगर हम विभिन्न मत और संप्रदायों में भी बंट गए हैं और अपने अपने मत और संप्रदाय को सत्य और श्रेष्ठ मानते हैं तो हमें एक ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित रहते हुए शांति और परोपकार के प्रयासों में एक दूसरे से बढ़ निकलने के लिए भरपूर कम्प्टीशन करना चाहिए।अपने देश और अपने समाज को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को बचाने का तरीक़ा आज इसके सिवा कोई दूसरा है नहीं। मैं इसी तरीक़े पर चलता हूं और आपको भी इसी तरीक़े पर चलने की सलाह देता हूं।आप अपने दीपक ख़ुद बन जाइये, मार्ग आपके सामने ख़ुद प्रकट हो जाएगा। तब आप चलेंगे तो मंज़िल तक ज़रूर पहुंचेंगे और कोई भी राह से भटकाने वाला आपको भटका नहीं पाएगा। आपकी मुक्ति, आपके ज्ञान और आपके पुरूषार्थ पर ही टिकी है। किसी और को इससे बेहतर बात पता हो तो वह हमें बताए !

2 टिप्पणियाँ:

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

यह बात बिलकुल सही है.. सबका आपण मान है..अपना धर्म है.. सबको अपने धर्म अपने इश्वर को को मानते हुवे नेक कार्य करने चाहिए और दूसरे धर्म और भावना को भी पूरा सम्मान देना चाहिए...

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

डा. नूतन जी ! आपका शुक्रिया ।

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