6/19/2011 11:54:00 pm
shyam gupta
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प्रेम किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत है- पंचम -सुमनान्जलि..समष्टि-प्रेम....जिसमें देश व राष्ट्र -प्रेम , विश्व-वन्धुत्व व मानव-प्रेम निहित ...७ गीत व कवितायें ...... देव दानव मानव, मानव धर्म, विश्व बंधुत्व , गीत लिखो देश के, बंदेमातरम , उठा तिरंगा हाथों में व ऐ कलम अब छेड़ दो.... प्रस्तुत की जायेंगीं | प्रस्तुत है...षष्ठ रचना....
.उठा तिरंगा हाथों में .....
स्वाभिमान से शीश उठाकर ,
ऊंचाई के आसमान पर |
उठा तिरंगा हाथों में हम ,
फहरा फहरा चढते जाएँ ||
हम हैं गोप गोपिका हम हैं ,
गोवर्धन धारी कान्हा के |
वही है सदा सखा हमारा ,
जिसने पूजा धरती माँ को ||
हम उसके साथी बन जाएँ ,
आसमान पर चढ़ते जाएँ ||
कठिन परिश्रम करें लगा मन,
सभी सफलता वर सकते हैं |
दृढ इच्छा से काम करें तो,
सूरज चाँद पकड़ सकते है ||
स्वार्थ युद्ध ,अणु बम की वर्षा,
नहीं चाहिए, शान्ति चाहिए |
आगम निगम विचार चाहिए,
गीता वाक्य प्रसार चाहिए ||
भारत देता शान्ति- मन्त्र है,,
विश्व शान्ति महकाते जाएँ ||
आसमान में चढ़ते जाएँ ,
उठा तिरंगा हाथों में हम |
लहरा लहरा बढ़ते जाएँ,
फहरा फहरा बढ़ते जाएँ ||
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कठिन परिश्रम करें लगा मन,
सभी सफलता वर सकते हैं |
दृढ इच्छा से काम करें तो,
सूरज चाँद पकड़ सकते है ||
bahut prernadayak
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