गुरुवार, 23 जून 2011

अगर यादें ना होती

खट्टी मीठी  यादें 
मन,मष्तिष्क में भरी
कुछ हंसाती,
कुछ रुलाती
कुछ पीछे ले जाती
निरंतर 
मन को उद्वेलित
करती
कभी सहारा देती
कभी कमज़ोर करती
किसी के लिए अर्थी
तो किसी के लिए
फूलों की सेज होती 
इंसान के प्रति 
इंसान की 
भावनाएं दर्शाती
सोचता हूँ  
अगर 
यादें ना होती
तो मरने के बाद
इंसान की कद्र
    कैसे होती ?  
23-06-2011
1091-118-06-11

3 टिप्पणियाँ:

shyam gupta ने कहा…

अगर
यादें ना होती
तो मरने के बाद
इंसान की कद्र
कैसे होती ? ----अच्छे भाव ....

ana ने कहा…

badhiya ....bhavuk kavita

विभूति" ने कहा…

behtreen prstuti....

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