गुरुवार, 23 जून 2011

क्या  दोनों तरफ से निकल चुकी हैं, तलवारें  म्यानों से ,
क्या फिर निकलेगा जन-सैलाब, अपने आशियानों से ,

फिर क्या हुंकार भरेगा 'अन्ना' का जन्तर- मन्तर,
या समय प्रदर्शित करेगा, कोई अद्भुत  अंतर ,

बड़े असमंजस में  है जनमानस, इस अवसर पर ,
बीच चौराहे  देश खड़ा, खुद को पाता  है अक्सर , 

क्या मंशा है ?किसकी सच्ची ?ये फैसला कौन करे ,
 बिल जन लोकपाल का  हो पास,  ये हौसला कौन करे ,

'कमलेश' क्या विडम्बना है ! इस  देश के लिए ,
खून बहाना पड़ता है ,इक राजसी आदेश के लिए..  जय हिंद !!

2 टिप्पणियाँ:

rubi sinha ने कहा…

achchhi rachan,

shyam gupta ने कहा…

खून बहाना पड़ता है ,इक राजसी आदेश के लिए

सटीक रचना ...

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