राजनीति में सब चलता है !
ये भारत है और यहाँ की राजनीति में सब चलता है .तीन घटनाएँ जो हाल ही में भारतीय राजनीति में घटी हैं इसी ओर इशारा करती हैं .तीनों घटनाओं इस प्रकार हैं -
*उत्तर प्रदेश के भट्टा पारसोल में यू.पी. पुलिस द्वारा गाँव के किसानों पर अमानवीय अत्याचार किये गए जिसके विरोध में कांग्रेस पार्टी के महासचिव श्री राहुल गाँधी ने वहां पहुचकर अपना विरोध दर्शाते हुए न केवल गिरफ़्तारी दी बल्कि किसानों को न्याय दिलाने की आस भी बंधायी .बहुत सराहनीय कदम था यह .
किन्तु ये ही राहुल जी दिल्ली में रामलीला मैदान में हुई जनता पर पुलिस क्रूरता के समय चुप रहे .घायल लोगों से मिलने तक नहीं गए .क्या इसीलिए कि वहां कांग्रेस की सरकार है?
*राजघाट पर भाजपा की तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज ने ठुमका लगाकर सारे देश को शर्मिंदा कर दिया .ऐसा क्या अच्छा हो गया था जिसने उन्हें झूमने को मजबूर कर दिया ?कही राजनैतिक बढ़त तो नहीं !एक ओर तड़पती जनता और दूसरी ओर ये मटकते नेता -बेहद शर्मनाक !
*उमा भारती जी ६ साल के लम्बे अंतराल के बाद भाजपा में लौट आयी .पता नहीं इतने समय में कितनी बार उन्होंने भाजपा को -इसके नेताओं को कोसा है ?क्यों लौट आते हैं अपमानित करके निकाले गए नेता ?क्या जनता के हितार्थ या अपना खोया रुतबा पाने के लिए ?शायद दूसरा कथन सच्चाई के ज्यादा करीब है .
अब उमा जी को यूं.पी. की जिम्मेदारी सौपी गयी है .देखते हैं अब कौनसी सियासी चाल चल कर वे भाजपा को यहाँ पुनर्जीवित करती हैं ?
बस एक प्रश्न अब भी बाकी है कि किस नेता को हम आदर्श की संज्ञा दे सकते हैं ?शायद वर्तमान में तो किसी को नहीं !
शिखा कौशिक
4 टिप्पणियाँ:
is aalekh se shikha ji aapne bahut sarthak chinta vyakt kee hai.ye rajneetigya har jagah apne swarth ke vashibhoot hi karya karte hain varna hain to ye sab ek hi theli ke chatte batte..
अच्छी जानकारी दी शिखा। थोड़ा दक्षिण भारत का भी जिक्र कर दीजिए। डीएमके प्रमुख करुणानिधि के बेटी टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले में कुछ ही दिन पहले जेल गई है।
बाकी सब तो ठीक है पर सुषमा जी के देश भक्ति गीत पर नाचने को असभय्ता कहना उचित नही है
आपकी टिप्पणी में दम तो है
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