बुधवार, 25 मई 2011

क्षमा याचना के साथ प्रणाम राम राम



मित्रों,
अभी शाम  को मैंने एक ९ वीं में पढने वाले बालक यश पाण्डेय की आपबीती उसी के लेख को यहाँ लगाकर बताया ..उसके पूर्व के लेख आप इसी ब्लॉग पर पढ़ चुके हैं..और शायद मैंने ही नहीं प्रबुद्ध जनों ने भी उसकी प्रसंशा की थी..
मगर इस मंच के संचालक मंडल की तरफ से (योगेन्द्र पाल जी) की तरफ से ऐसा कहा गया की ये लेख अविश्वसनीय है और इसका विडियो होना चाहिए भला आप सोचे एक १४ साल का बच्चा अपने अध्यापक का विडियो कैसे बनाएगा...
दूसरा शायद मेरे इक्का दुक्का लिखे जाने वाले लेखों से इस मंच की विश्वसनीयता और पाठक संख्या घट रही है जो मैं कभी नहीं चाहूँगा...
ये मेरे दूसरे लेख पर विवाद था...और शायद दूसरी चेतावनी भी...मनगढ़ंत इतिहास और किसी की आपबीती(क्यूकी दोनों को विडियो नहीं है मेरे पास इसलिए मनगढ़ंत ही होगा ) लिखने के लिए आप सभी से क्षमा मांगते हुए में स्वेच्छा से इस मंच से विदा लेता हूँ...
हाँ अगर जीवन में कश्मीर के किसी बंधू का साक्षात्कार कर सका तो संचालक  मंडल तक विडियो भिजवा  दूंगा...
आप सभी स्नेही स्वजन एवं मंच संचालक मंडल का आभार मुझे इस मंच पर स्थान देने के लिए..और एक बार पुनश्च क्षमा प्रार्थी हूँ इस मंच के सेकुलर नियमों को तोड़ने के लिए.....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच को शुभकामनायें...

आशुतोष 

7 टिप्पणियाँ:

yogendra pal ने कहा…

आशुतोष जी: मैं इस मंच का सिर्फ तकनीकी कार्य देखता हूँ, ये मंच पूरी तरह से "हरीश जी" का है, मेरा कार्य उनको आगाह करना है सो मैंने कर दिया|

आपको दिए गए कमेन्ट एक पाठक की हैसियत से हैं ना कि इस मंच के संचालक की हैसियत से|

किसी को इस मंच से हटाना या जोड़ना मेरा कार्य नहीं है वो कार्य हरीश जी है|

सेकुलर नियम क्या होते हैं? यदि कोई मंच साहित्यिक गतिविधियों के लिए बनाया गया है तो क्या उस पर इस बिषय पर लेख आने चाहिए?

आपने अपना मंच बना रखा है वहाँ पर यदि मैं आपकर चुटकुले सुनाने लगूं तो कैसा लगेगा? या मैं यदि वहाँ पर आकर अपने पोस्टों के लिंक देने लगूं तो कैसा लगेगा?

आप कविता / कहानी / निबंध इत्यादि लिखिए कौन रोकता है? धर्मवादी लेख इस मंच के लिए मना हैं, आप तो यहाँ पर आकर अपने एग्रीगेटर का प्रचार भी करते हैं, मैं भी एग्रीगेटर चलाता हूँ क्या मैंने कभी ऐसा किया?

जिस तरह आप हिंदू धर्म के लिए पागल हैं ठीक ऐसे ही मैं भी शिक्षा के लिए पागल हूँ पर मैं तो आपकी तरह सभी सामूहिक ब्लोगों पर यह राग नहीं अलापता रहता, मैं उसके लिए कार्य करता हूँ किसी सुविधा का दुरूपयोग नहीं करता| मुझे पूरा विश्वास है कि मैं मेरे उद्देश्य में सफल रहूँगा क्या आपको है? गाल बजाना कमजोरी की निशानी है, कर्म से ही सब कुछ संभव है पर आप मुझे सिर्फ लिखते ही दिखाई देते हैं, करेगा कौन? हिंदू धर्म को बचाने की इतनी आग अपने अंदर कौन लाएगा? आप में है तो आप बोल बोल कर खर्च कर रहे हैं|

पूर्वाग्रहों को हटाइए और सोचिये कि क्या करना होगा ना कि क्या लिखना होगा|

आशुतोष की कलम ने कहा…

@ योगेन्द्र जी:
सिर्फ एक सफाई मैं कोई एग्रीगेटर नहीं चलाता मुझे अच्छा लगा तो लिंक दिया था..
मेरे जैसे कमजोर गाल बजने वाले ब्यक्ति को आप का ज्ञान मिल गया अहोभाग्य मेरा..
@करेगा कौन?? : ये सवाल अनुतरित रहने दें ..अब BBLM पर अगली पोस्ट नहीं लिख सकता इस सम्बन्ध में..

@ इसके पहले के लेख में आप ने अपना अधिकार बताया था की आप एक लेख लिखकर माफ़ी मांगे नहीं तो मंच से निकल दिया जाएगा देखें
http://www.upkhabar.in/2011/04/blog-post_7016.html
तो में कैसे इस टिपण्णी को कमेन्ट के रूप में लूँ


आप को आप के कार्य में प्रभु श्रीराम सफल बनाये..

पुनः आप सभी से क्षमा प्रार्थी

आशुतोष

मदन शर्मा ने कहा…

ऐसा विवाद तो होता ही रहता है किन्तु इसका मतलब ये तो नहीं की पलायन कर जाएँ !
आशुतोष जी आपकी कमी बहुत खलेगी !
योगेन्द्र जी उस समय आप कहाँ थे जब आप के एक साथी द्वारा इसी ब्लॉग पर ही शिव पर लेख लिखा गया था ?
कृपया सब के साथ सम भाव अपनाएं !!

yogendra pal ने कहा…

@मदन जी: पहले आप देख तो लें कि मैंने उस पर क्या आपत्ति दर्ज कराई थी| और शिव जी का वह लेख बहुत जगह पोस्ट हो कर यहाँ आया था, मूल जगह पर मैंने उस लेखक को जो कहा उसके बाद से आज तक वो मेरे किसी कमेन्ट अथवा पोस्ट पर कमेन्ट करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है|

आशुतोष जी को खुद ही यह समस्या है कि हर समय पलायन की बात करते रहते हैं, यदि कोई कमी नजर आ रही है तो मैंने बता दिया, क्या मैंने कहा कि आप यहाँ से चले जाइये?

क्या जरूरी है कि सभी जगह पर सकारात्मक कमेन्ट करो, मुझे गलत लगा मैंने बोल दिया| और हाँ यदि ऐसे लेख ही लिखने हैं तो मेरा विरोध हमेशा होता रहेगा, पलायन करें तो करें

मदन शर्मा ने कहा…

योगेन्द्र जी जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद ! मै आपके विचार पहले भी पढ़ चुका हूँ , बहुत सुन्दर विचार हैं आपके !यही बातें मैं भी चाहता हूँ !
ब्लॉग जगत में कुछ ब्लोगर ऐसे भी हैं जो तर्कों की भाषा नहीं समझते , उन्हें सिर्फ कुतर्क ही करना आता है > इश्वर उन्हें सदबुद्धि दे !
किन्तु इन बातों से आप आशुतोष जी के विचारधारा पर संदेह नहीं कर सकते .
उनकी विचारधारा तथा तर्कशक्ति से प्रभावित होकर ही मैंने इस ब्लॉग का अनुसरण भी किया है . दो विद्वानों के बीच इस तरह मतभेद नहीं होना चाहिए.
आप लोगों को मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!

blogtaknik ने कहा…

नमस्कार
मै BBLM का सदस्य नहीं हू पर पर मेरे कारण कुछ मनमुटाव हो तो मै एक बात साफ कर देता हू कि आपने अग्रिग्रेटर वाली पोस्ट पर सवाल उठाया है तो वह अग्रिग्रेटर मैने चालू किया है. और पिछले एक देड साल से देख रहा हू कि कुछ लोग अपने धार्मिक कारण से ब्लॉग जगत मै सनातन धर्म नि निंदा कर रहें है इसलिए मैंने यह अग्रिग्रेटर बनाया है और अगर ईस bblm के सभी लेख को आप ध्यान से पढ़ेगे तो और भी आपति जनक लेख मिल जायेंगे मुझे लगता है कि टेक्नीकल सहायक का कार्य टेक्नीकल मदत करना होना चाहिए.

yogendra pal ने कहा…

@blogtaknik: आप एक नहीं एक हजार एग्रीगेटर बनाइये पर यहाँ प्रचार करना सख्त मना है|

कोई भी प्रचार पढ़ने के लिए सामूहिक मंचों पर नहीं जाता|

और किसी के एग्रीगेटर बनाने से धार्मिक निंदा कैसे रुकेगी वो मेरी समझ के परे है|

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