शुक्रवार, 27 मई 2011

मीटिंग -लघु कथा




रजत ...आई कॉंट वेट एनी मोर !'' यह कहकर सोनाक्षी ने मोबाईल को स्विच ऑफ कर सोफे पर फेंक दिया .दोपहर से इन्तजार करते-करते अब रात के नौ बजने वाले थे और रजत घर नहीं लौटा था .रजत ने ही मूवी देखने का प्रोग्राम  बनाया था और बिजनेस मीटिंग के कारण इतनी देर हो गयी थी .सोनाक्षी ने कपडे बदले और बैडरूम में जाकर सो गयी .रात के साढ़े  ग्यारह बजे डोर बैल बजी तो उसकी नींद खुली .उसने मैजिक आई से देखा रजत ही था .डोर खोलते ही रजत का थका चेहरा देखकर वह सारा गुस्सा भूल गयी.रजत बैडरूम में जाते ही जूते उतारकर लेट गया .सोनाक्षी ने उसके माथे पर हाथ लगाकर देखा तो वह तप रहा था .सोनाक्षी ने फैमिली डॉक्टर से फोन पर बात कर घर में रखी दवाइयों में से एक दवाई रजत को दे दी .सुबह होते-होते रजत की तबियत में काफी सुधार आ गया .सोनाक्षी ने रजत को बैड से उठते देखा तो बोली -''अरे..उठ क्यों रहे हो ?आराम से लेटे रहो .आज सब मीटिंग कैंसिल  कर दो ..समझे !''रजत थोडा असहमत होता हुआ बोला ''...नहीं सोनू आज तो बहुत जरूरी मीटिंग है ...आज की मीटिंग कैंसिल करूँगा तो सब कुछ खो दूंगा ..''यह कहते हुए रजत  उठकर अपना ब्रीफकेस उठा लाया और खोलकर एक गिफ्ट पैक सोनाक्षी की ओर बढ़ा दिया .सोनाक्षी चकित होते हुए बोली ''ये क्या है ?'' ''खुद देखो !'' रजत ने माथे पर आए बाल हटाते हुए कहा .''.....अरे ..इतनी सुन्दर रिंग .....'' ''सिर्फ तुम्हारे लिए ''यह कहते हुए रजत ने सोनाक्षी के कंधे पर हाथ रखते  हुए कहा ''सॉरी... कल मैंने तुम्हारा दिल दुखाया था न ''.सोनाक्षी ने मुस्कुराते हुए रजत को आँखों ही आँखों में माफ़ करते हुए कहा ''अच्छा तो ये मीटिंग है .ये मीटिंग तो जीवन भर चलनी है....है न .''रजत भी मुस्कुरा दिया .
http://shikhapkaushik.blogspot.com

8 टिप्पणियाँ:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सुखद एहसास ....

दाम्पत्य जीवन में सुख और ख़ुशी इसी आपसी समझ और आत्मिक लगाव से संभव हैं |

kavita verma ने कहा…

pyar ka ehsas bana rahe fir to jeevan sunder hota hai

Shalini kaushik ने कहा…

pati patni ke beech me ye samjhdari aur pyar bana rahe to jeevan naiyya bina kisi jhatke ke chalti rahegi.bahut sundar bhavpravan laghu katha.

Arunesh c dave ने कहा…

कम शब्दो मे बड़ी बात ये छोटे पल ही वैवाहिक जीवन को जीवंत रखते हैं

मदन शर्मा ने कहा…

आपका अंदाज़ सबसे अलग है ! शुभकामनायें आपको

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice story.

http://commentsgarden.blogspot.com/2011/05/dr-anwer-jamal.html

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सार्थक रचना।

---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्‍या दोगे प्‍यार की परिभाषा?

rubi sinha ने कहा…

Nice story.

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification