सोमवार, 16 मई 2011

जज्बातों को जगाये रखना .

दस बारह साल की उम्र में देखी एक फिल्म ने १३ मई को अपनी रिलीज के चालीस साल पूर्ण किये . फिल्म हे राजेश खन्ना की'' हाथी मेरे साथी ''. इस फिल्म ने उस दौर में रिकार्ड तोड़ सफलता हासिल की थी.


सलीम -जावेद की लिखी यह पहली फिल्म थी .इस फिल्म ने राजेश खन्ना से बड़ा सितारा रामू हाथी को बना दिया था . सही अर्थ में यह बच्चो की फिल्म थी , और कथानक इतना सटीक था की रामू हाथी की मौत पर बच्चो के साथ बड़ो ने भी आंसू बहाए थे . इस फिल्म के कथा तत्त्व का आकलन करने बेठा हु तो बहुत सारी ऐसी बाते नजर आरही है जो दिमाग और दिल दोनों को द्रवित कर रही है . एक अनाथ बच्चे को जानवरों का साथ मिलता है और समय के साथ वे लोग भावनात्मक रूप से इस कदर जुड़ जाते है की एक दुसरे के लिए जान भी देने को तेयार रहते है .
बाल मन कोमल और निस्वार्थ प्रेम से भरा होता है . हमारी उम्र बढने के साथ इन कोमल भावनाओं पर कठोरता हावी होती जाती है और एक समय ऐसा आता है जब याद ही नहीं रहता कि कभी हम भी बच्चे ही थे . यंहा पर फिल्मे अपना काम करती है . फिल्मे हमें याद दिलाती है कि जिन्दगी के मासूम लम्हे हमारे साथ थे और समय उन पर कठोर व्यावहारिकता के साथ जिन्दगी की आप धापी को भी चस्पा करता जा रहा है . हाथी मेरे साथी आदमी ही नहीं वरन जानवरों के प्रति भी स्नेह जगाने का प्रयास करती है.
इसी तरह की एक और फिल्म है जो इस समय धूम मचाये हुए है . यह फिल्म है वाल्ट डिज्नी के बेनर में बनी' टॉय स्टोरी- 3 ' . फिल्म की कथा कल्पना कमाल की है . माना की बोलीवूड की फिल्मो में गुणात्मक सुधार हो रहा है , परन्तु होलीवूड अब भी कही बहुत आगे है- यह बात यह फिल्म पुरजोर ढंग से लागु करती है .एक किशोर कोलेज जाने को हे और और जिन खिलोनो को खेलकर वह बड़ा हुआ है , उन्हें छोड़ कर जाने वाला है . वे इस बात को लेकर उदास . उन्हें इस बात का भी अफ़सोस है की उन्हें या तो ' रि- साइकिल ' कर दिया जाएगा या किसी डे - केयर सेंटर को दान कर दिया जाएगा . ......

खिलोनो में जान नहीं होती . यह हम बड़े जानते है . बच्चे जो इनके साथ खेलते है - उन्हें तो इन में भरपूर जिन्दगी नजर आती है . मासूमियत चेहरे वाले खिलोने बचपन को क्रूर होने से बचाए रखते है . यह बात बड़े होने के काफी बाद समझ आती है .फिल्मे सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करती , कतरा , कतरा लुप्त होती संवेदना को संजोय रखने का काम भी करती है .

2 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

sundar rachna.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर.. अच्छा लगा

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