बुधवार, 18 मई 2011

3 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

anawar sahab kash aisee hi soch sabhi bhartiy musalmano ki ho. aapki yah post halla bol par prakashit hai.
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मित्रो मैं आज अपना सामुदायिक ब्लॉग "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पढ़ रहा था. वहा पर हमारे ब्लोगर भाई "अनवर जमाल खान साहब " की पोस्ट दिखाई दी, उन्होंने किसी अज़ीज़ बर्नी जी का ख़त लगाया था. और लिंक दिया था. अनवर भाई अज़ीज़ बर्नी मैंने इसलिए लिखा क्योंकि मैं उनकी शख्सियत से वाकिफ नहीं हूँ. आप कौन से अज़ीज़ बर्नी का लेख दिखाए हैं, मैं जिस बर्नी साहब को समझ रहा हूँ उनकी मैं बहुत इज्ज़त करता हूँ.

दोस्तों यह पोस्ट मैं यहाँ लगा रहा हूँ. इस सोच के साथ की भारत में रहने वाले सभी मुसलमानों की सोच ऐसी ही होनी चाहिए. मैं सही हूँ या गलत इसका फैसला आपके कमेन्ट करेंगे....

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

हरीश भाई ! आपको लेख पसंद आया , शुक्रिया ।
इस लेख के लेखक वही अज़ीज़ बर्नी हैं जो राष्ट्रीय सहारा उर्दू ग्रुप के एडिटर हैं। साहित्य जगत में अज़ीज़ बर्नी के नाम से इनको ही जाना जाता है ।

हरीश सिंह ने कहा…

धन्यवाद अनवर भाई, शायद मैं पहले ध्यान नहीं दे पाया नहीं तो जान गया होता की यह वही बर्नी साहब हैं, उनकी बेब साईट पर जाकर हमने कई लेख पढ़े.

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