शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

भले तुम पूजो मुझे



गीत : डा. नागेश पांडेय ' संजय ' 

भले तुम पूजो मुझे भगवान कहकर
किंतु मैं खुद को पुजारी मानता हूँ।

हृदय-मंदिर में जलाए दीप सुधि का,
मैं तुम्हारे नाम का जप कर रहा हूँ।
किसी दिन मैं स्वयं आहुति बन जलूँगा,
मैं अभी तो मौन हो तप कर रहा हूँ।
भले तुम वर लो मुझे वरदान कहकर
किंतु मैं खुद को भिखारी मानता हूँ।

बना ली मन में  तुम्हारी मूर्ति मैंने,
इसे श्रद्धा कहो या अपराध कह लो।
धृष्टता समझो अगर तो दंड दे दो,
या कि इस अनुराग को चुपचाप सह लो।
भले तुम भूलो मुझे अनजान कहकर,
किंतु  मैं  संबंध  भारी  मानता  हूँ।

मैं  निरा  पाषाण  था,  तुमने  तराशा
और  मेरा  रूप  मनभावन  गढ़ा है।
हूँ प्रखर, संपूर्ण इसका श्रेय तुमको
क्या कहूँ यह अनुग्रह कितना बड़ा है।
भले तुम खुश हो मुझे विद्वान कहकर,
किंतु मैं खुद को अनाड़ी मानता हूँ।

कवि परिचय

कवि परिचय
डा. नागेश पांडेय 'संजय' , 
 शिक्षा : एम्. ए. {हिंदी, संस्कृत }, एम्. काम. एम्. एड. , पी. एच. डी. [विषय : बाल साहित्य के समीक्षा सिद्धांत }, स्लेट [ हिंदी, शिक्षा शास्त्र ] ; 
सम्प्रति :  विभागाद्यक्ष , बी. एड. राजेंद्र प्रसाद पी. जी. कालेज , मीरगंज, बरेली .

प्रकाशित पुस्तकें

आलोचना ग्रन्थ : बाल साहित्य के प्रतिमान ;
कविता संग्रह : तुम्हारे लिए ;
बाल कहानी संग्रह : १. नेहा ने माफ़ी मांगी २. आधुनिक बाल कहानियां ३. अमरुद खट्टे हैं ४. मोती झरे टप- टप ५. अपमान का बदला ६. भाग गए चूहे ७. दीदी का निर्णय ८. मुझे कुछ नहीं चहिये ९. यस सर नो सर ;
बाल कविता संग्रह : १. चल मेरे घोड़े २. अपलम चपलम ;
बाल एकांकी संग्रह : छोटे मास्टर जी
सम्पादित संकलन : १. न्यारे गीत हमारे २. किशोरों की श्रेष्ठ कहानियां ३. बालिकाओं की श्रेष्ठ कहानियां

संपर्क

ई -मेल- dr.nagesh.pandey.sanjay@gmail.com

6 टिप्पणियाँ:

विभूति" ने कहा…

bhut hi sunder abhivaykti..

Vaanbhatt ने कहा…

saral shabdon mein sahaj abhivayakti...ati sunder...direct dil se...wah..wah

डॉ. नागेश पांडेय संजय ने कहा…

सुषमा जी और बान भट्ट जी को हार्दिक धन्यवाद .

आशुतोष की कलम ने कहा…

भले तुम खुश हो मुझे विद्वान कहकर,
किंतु मैं खुद को अनाड़ी मानता हूँ।...

...........
क्या बात है...आप का परिचय और काव्य देखकर क्या टिपण्णी करू..
पसंद आई आप की कृति

Bharat Swabhiman Dal ने कहा…

सरल सहज शब्दों में बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।

poonam singh ने कहा…

भावभरी रचना।

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