प्रेम काव्य-महाकाव्य--गीति विधा -- रचयिता---डा श्याम गुप्त
-- प्रेम के विभिन्न भाव होते हैं , प्रेम को किसी एक तुला द्वारा नहीं तौला जा सकता , किसी एक नियम द्वारा नियमित नहीं किया जासकता ; वह एक विहंगम भाव है | प्रस्तुत सुमनांजलि- प्रेम भाव को ९ रचनाओं द्वारा वर्णित किया गया है जो-प्यार, मैं शाश्वत हूँ, प्रेम समर्पण, चुपके चुपके आये, मधुमास रहे, चंचल मन, मैं पंछी आजाद गगन का, प्रेम-अगीत व प्रेम-गली शीर्षक से हैं |---प्रस्तुत है प्रेम का एक और भाव ... पंचम रचना --मधुमास रहे ....
मधुमास रहे ....
हम तुम चाहे मिल पायं नहीं ,
जीवन में न तेरा साथ रहे |
मैं यादों का मधुमास बनूँ ,
जो प्रतिपल तेरे साथ रहे ||
तू दूर रहे या पास रहे,
यह अनुरागी मन यही कहे |
तेरे जीवन की बगिया में,
जीवन भर प्रिय मधुमास रहे ||
जब याद करूँ मन में आना,
मन-मंदिर को महका जाना |
यादें तेरी मन में मितवा,
बन करके सदा मधुमास रहे ||
जीवन वन भी है, उपवन भी,
हे वन माली ! यह ध्यान रहे |
दुःख के काँटों, सुख की कलियो-
की मह-मह से गुलज़ार रहे ||
दुःख का पतझड़ सुख का बसंत ,
कष्टों की गर्म बयार बहे |
पर तेरे प्यार की खुशबू से,
इस मन में सदा मधुमास रहे || ----क्रमश:
5 टिप्पणियाँ:
पर तेरे प्यार की खुशबू से,
इस मन में सदा मधुमास रहे
................
इतनी मोहक अभिव्यक्ति से, मधुमास राग बन जाएगा
हो कोई भी मौसम लेकिन,ये काव्य प्रेमऋतु लायेगा.
इस दृग की सीमाओं में प्रिये,बस तेरा ही एहसास रहे
तेरे जीवन की बगिया में,जीवन भर प्रिय मधुमास रहे |
तेरे जीवन की बगिया में,जीवन भर प्रिय मधुमास रहे |
दुःख का पतझड़ सुख का बसंत ,
कष्टों की गर्म बयार बहे |
पर तेरे प्यार की खुशबू से,
इस मन में सदा मधुमास रहे
prem ki vastvik abhivyakti .badhai .
"हो कोई भी मौसम लेकिन,ये काव्य प्रेमऋतु लायेगा".....वह क्या सुन्दर अभिव्यक्ति है आशुतोष...बधाई...
ध्न्यवाद शालिनी जी...
तू दूर रहे या पास रहे,
यह अनुरागी मन यही कहे |
तेरे जीवन की बगिया में,
जीवन भर प्रिय मधुमास रहे ||
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sundar rachna.
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