कवियों अपनी कलम उठाओ
आया समय, कुछ गीत लिखो,
भ्रष्टाचार विरोधी स्वर लिखकर
'अन्ना' के संग मीत लिखो
जाग उठे जन-जन, जागे जन-गण-मन,
राष्ट्र चेतना जगाने को एक जाग चाहिये
धधक उठे क्रान्ति-ज्वाला जन-जन में,
मिटाने अंधियारे को, दावानल आग चाहिये
राष्ट्र्भक्ति के स्वर लिये, क्रान्ति का ज्वर लिये,
परिवर्तन की आंधियों को, भैरवी राग चाहिये
पुकारे है गंगा मैली, कर डाली मुझे विषैली,
ऐसे सांप-सपोलो को डसने को, शेषनाग चाहिये
आया समय, कुछ गीत लिखो,
भ्रष्टाचार विरोधी स्वर लिखकर
'अन्ना' के संग मीत लिखो
जाग उठे जन-जन, जागे जन-गण-मन,
राष्ट्र चेतना जगाने को एक जाग चाहिये
धधक उठे क्रान्ति-ज्वाला जन-जन में,
मिटाने अंधियारे को, दावानल आग चाहिये
राष्ट्र्भक्ति के स्वर लिये, क्रान्ति का ज्वर लिये,
परिवर्तन की आंधियों को, भैरवी राग चाहिये
पुकारे है गंगा मैली, कर डाली मुझे विषैली,
ऐसे सांप-सपोलो को डसने को, शेषनाग चाहिये
5 टिप्पणियाँ:
जय हिंद..
अब कलम से ज्यादा व्यक्तिगत सहयोग आवश्यक है
सभी को एकजुट होना होगा.
nice post...
jai hind aashutosh ji,
ab vastav me kalam se jyada vyaktigat sahyog ki aavashykta hai..
dhanywad rubi ji, harish ji...
एक टिप्पणी भेजें