सोमवार, 7 मार्च 2011

मुझमे मैं भी रहती हूँ.. !! ( Where am I ?)

राधा-मीरा की बातों से कब तक मुझको बहलाओगे..?
मेरा भी अस्तित्व है कुछ.. क्या मान कभी ये पाओगे..?

क्या तुम ये स्वीकार सकोगे..मुझमे मैं भी रहती हूँ..?
तुम जब बातों में बहते हो..मुझमे मैं भी बहती हूँ..?

मैं माँ हूँ.. यह भी एक सच है, मैं बेटी भी होती हूँ..!
माना कि मैं मीरा भी हूँ, कृष्ण बिना मैं रोती हूँ !!

मैं प्रेयसी हूँ.. यह भी सच है, मैं भाग तुम्हारा आधा हूँ !
फिर भी तुमको लगता है, मैं स्वयं तुम्हारी बाधा हूँ !!

पहले भी तुमने छला मुझे, तुम अब भी तो छलते हो !
मैं जब भी आगे बढती हूँ, हाथ तभी तुम मलते हो !!

ना हूँ मैं पूजन की प्यासी.. न मात्र किताबी बातों की..!
जो सात वचन देती हूँ तुमको, इच्छित हूँ उन सातों की !!

स्वीकार करो यह सत्य महज, मैं बस इतना कहती हूँ.. !
बस तुम यह स्वीकार करो कि मुझमे मैं भी रहती हूँ.. !!

-अमित तिवारी
समाचार संपादक
निर्माण संवाद

5 टिप्पणियाँ:

Nirantar ने कहा…

achhee prastutee

saurabh dubey ने कहा…

अच्छा रचना

हरीश सिंह ने कहा…

मैं प्रेयसी हूँ.. यह भी सच है, मैं भाग तुम्हारा आधा हूँ !
फिर भी तुमको लगता है, मैं स्वयं तुम्हारी बाधा हूँ !!
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सुन्दर प्रस्तुति के लिए अमित जी को बधाई.

गंगाधर ने कहा…

स्वागत, अच्छी रचना.

***Punam*** ने कहा…

ना हूँ मैं पूजन की प्यासी.. न मात्र किताबी बातों की..!
जो सात वचन देती हूँ तुमको, इच्छित हूँ उन सातों की !!
स्वीकार करो यह सत्य महज, मैं बस इतना कहती हूँ.. !
बस तुम यह स्वीकार करो कि मुझमे मैं भी रहती हूँ.. !!

bas itna hi agar ho jaye to zindagi sukh se beet sakti hai....
naree ki bhi aur purush ki bhi... !!

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