मंगलवार, 8 मार्च 2011

अबला को बला ना समझो,बल उसका कभी ना भूलो





अबला को
बला ना समझो
बल उसका कभी ना भूलो
यादें अपनी ताज़ा कर लो
इतिहास उठा कर देख लो
निर्बल उसे कभी ना मानो
अपने को बल को,अपना ना
समझो
माँ के दूध का नतीजा
समझो
अब अपनी आँखें खोलो
माँ के दूध
की लाज रख लो
नारी की रक्षा करो
सम्मान से उसे देखो
निरंतर ख्याल उसका रखो
उचित स्थान उसे दे दो
गलती अब तो सुधार लो
 
08—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

1 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति, आभार

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