शुक्रवार, 25 मार्च 2011

ना मारो खुद को पल पल,हर पल जिया करो




कौन है जिसने
ख्वाब नहीं देखे
कुछ पूरे हुए,
कुछ अधूरे रहे
फिर क्यों इंसान
निरंतर रोता रहता
जो बीत गया
उसमें खोता रहता
भविष्य की
चिंता में घुलता रहता
वर्तमान में दुखी रहता
जो मिला
अब तक जानो उसे
धन्यवाद इश्वर को दो
बेहतर की उम्मीद करो
बोझ ना
उसका मन में रखो
मिले ना मिले,
मर्जी खुदा की समझो 
ना मारो खुद को पल पल
हर पल जिया करो
सन्देश दुनिया को
भी दिया करो
25-03-03
504—174-03-11

3 टिप्पणियाँ:

आशुतोष की कलम ने कहा…

चिंता में घुलता रहता
वर्तमान में दुखी रहता
जो मिला
अब तक जानो उसे
धन्यवाद इश्वर को दो
बेहतर की उम्मीद करो
...............
satya panktiya hai aaj har koi isi bhautik parewesh men vatman sae dukhi hai....
ati sundar panktiya....

हरीश सिंह ने कहा…

निरंतर अच्छी कविता, कृपया पृष्ठ "हमारे बारे में" अवश्य पढ़े.

हरीश सिंह ने कहा…

निरंतर जी यदि रसगुल्ले रोज़ खाए जाय तो मन उब जाता है. एक सप्ताह में एक ही पोस्ट करें. मंच का नियम अवश्य पढ़े और पालन करें.

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