मंगलवार, 15 मार्च 2011

प्रकृति का इशारा

है एक इशारा, दुनिया देख ले
जापान का उदाहरण देख ले
नश्वर है संसार सब जानते हैं
है वो शक्ति कौन जो
दुनिया चला रही है
फिर हम क्यूं किस नशे में गुरुर रहते हैं
प्रकृति से छेड़छाड़ कर
खुद मौत को दावत दे रहें हैं


सृष्टि को जानने की लालसा से
अन्तरिक्ष पर जा चुके हैं
और न जाने क्या-क्या कर
हद से बाहर जा चुके हैं
प्रकृति का यह इशारा
मूक है परन्तु साफ है
अब समय रहते समझ न पाये तो
होगा और विनाश मानव जाति का ।।
-मंगल यादव, नोएडा

4 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik ने कहा…

प्रकृति का यह इशारा
मूक है परन्तु साफ है
अब समय रहते समझ न पाये तो
होगा और विनाश मानव जाति का ।।
सही समय पर सही अभिव्यक्ति...

हरीश सिंह ने कहा…

प्रकृति से छेड़छाड़ कर
खुद मौत को दावत दे रहें हैं
----------------------
समसायिक रचना, सत्य को बयां करती, स्वागत,

Nirantar ने कहा…

और न जाने क्या-क्या कर
हद से बाहर जा चुके हैं
sundar

मंगल यादव ने कहा…

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद

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