गुरुवार, 24 मार्च 2011

श्रम मंत्रालय के समक्ष करीब दो घंटे तक अभूतपूर्व प्रदर्शन, पत्रकारों ने वेतनबोर्ड पांच अप्रैल तक लागू करने का दिया अल्टीमेटम

 अखबारी कर्मचारियों के लिए मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने की मांग पर आज देश भर के पत्रकारों ने नयी दिल्ली में श्रम मंत्रालय के समक्ष करीब दो घंटे तक अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। कर्मचारी नेताओं ने वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें पांच अप्रैल तक लागू करने का सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर वह नतीजे भुगतने को तैयार रहे। संसद में आज कांग्रेस, आरजेडी, जद (यू) और भाजपा सांसदों ने भी मजीठिया की सिफारिशें फौरन लागू करने की मांग की। सदन में मौजूद सूचना प्रसारण मंत्री से भी इस मामले पर जवाब देने को कहा।
अखबारी कर्मचारियों की विभिन्न फ़ेडरेशनों ने परस्पर मिलकर बनाये गये कान्फ़ेडरेशन के बैनर तले नई दिल्ली में अपने आक्रोश का इजहार कर अपनी जोरदार एकजुटता का परिचय दिया.। श्रम मंत्रालय के समक्ष रफ़ी मार्ग पर पत्रकारों के करीब दो घंटे तक चले प्रदर्शन के कारण यातायात पूरी तरह ठप रहा।
  प्रदर्शन के दौरान कांफ़ेडरेशन आफ़ न्यूजपेपर एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लायज आर्गेनाइजेशन्स के महासचिव एम एस यादव ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने के लिए सरकार को पांच अप्रैल तक का समय दिया। उन्होंने कहा कि यदि उक्त अवधि तक सिफ़ारिशें लागू नहीं हुई तो श्रम मंत्री नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें। पत्रकारों ने प्रदर्शन के दौरान वेतनबोर्ड की सिफ़ारिशें लागू करने के साथ साथ टिब्यून अखबार से निलंबित कर्मचारियों को भी बहाल करने की जोरदार मांग की।
यादव ने कहा, ‘कान्फ़ेडरेशन के बैनर तले देश भर से आये विभिन्न कर्मचारी महासंघों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपनी भारी एकजुटता का परिचय दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि 31 दिसंबर की तयसीमा के भीतर वेतनबोर्ड का रिपोर्ट दिये जाने के बावजूद सरकार जानबूझ कर इस मामले में देर कर रही है।’ ( स्रोत- प्रभात खबर )।

सांसदों ने भी सरकार से जवाब मांगाआज सदन के दोनों सदनों में जस्टिस मजीठिया की सिफारिशों को अविलंब लागू करने की मांग सांसदों ने की। लोक सभा में शून्यकाल में यह मुद्दा कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि वेतनबोर्ड लागू करने की मांग को लेकर देशभर में पत्रकार प्रदर्शन कर रहे हैं। मालूम हो कि पत्रकारों ने आज २४ मार्च को देश भर में प्रदर्शन किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि २००८ से वेतनबोर्ड की सिफारिशें फौरन लागू करना चाहिए। मालूम हो कि पत्रकारों व गैरपत्रकारों के वेतन की समीक्षा के लिए बोर्ड का गठन २००७ में किया गया था।
  राज्यसभा में आरजेडी के रामकृपाल यादव ने सरकार को आड़े हाथे लेते हुए कहा कि जस्टिस जीआर मजीठिया ने अपनी सिफारिशें २०१० के दिसंबर में ही श्रममंत्रालय को सौंप दी मगर सरकार ने अभी तक इसे लागू नहीं किया। उन्होंने सिफारिशें अबतक लागू नहीं करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जबकि पत्रकार व गैरपत्रकार राजधानी दिल्ली व देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं।
  भाजपा के रूद्रनारायण पैनी ने सदन में मौजूद सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से इस मुद्दे पर उनसे जवाब देने को कहा।
  काग्रेस के शाताराम नाइक ने जानना चाहा कि सिफारिशें लागू करने में आखिर क्या अड़चने हैं।
  जद(यू) के अली अनवर अंसारी ने कही कि सरकार को आज ही इस संबंध में घोषणा कर देनी चाहिए। मालूम हो कि जस्टिस मजीठिया ने दिसंबर २०१० को सौंपे अपनी रिपोर्ट में पांच मानदंड तय किए हैं। इसमें समाचार पत्रों को पुनर्वर्गीकरण, ८ जनवरी २००८ से वेतन भत्ता का भुगतान, वेतनमान में सालाना इनक्रीमेंट में वृद्धि, आवास भत्ता में वृद्धि शामिल है। (स्रोत- पीटीआई )

       मुंबई में भी पत्रकारों ने किया प्रदर्शनपीटीआई के पत्रकारों ने मुंबई में आज दोपहर बाद मजीठिया की सिफारिशों को फौरन लागू करने की मांग पर पीटीआई दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया। इस मौके पर फेडरेशन आफ पीटीआई कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जान गोंसाल्वेज ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सिफारिशों को फौरन लागू नहीं कर रही है जबकि रिपोर्ट तान महीने पहले ही सौंपी जा चुकी है। इस मौके पर हुई सभा में पत्रकार व गैर पत्रकार दोनो शामिल थे। (स्रोत-पीटीआई)
   
   

1 टिप्पणियाँ:

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