बुधवार, 16 मार्च 2011

ओह जापान....तुम फिर से वैसे ही सुन्दर बन जाओ....!!


ओह जापान....तुम फिर से वैसे ही सुन्दर बन जाओ....!! 
                 जो कुछ घट रहा होता है हमारे सामने,उससे विमुख हम कभी नहीं रह सकते...बहुत बार बहुत सी बातों पर हमारी आँखे भर-भर आती हैं...मगर कुछ भी हमारे बस में नहीं होता हम बस तड़प कर रह जाते हैं...जापान की विभीषिका एक ऐसी ही दुर्घटना है...जिस पर अपने भाईयों के लिए सिवाय मंगलकामनाएं और शुभकामनाएं प्रेषित करने के कुछ नहीं कर सकते...धरती पर जापान नाम की इस जगह के हमारे तमाम भाई बंधू जल्द-से-जल्द इस त्रासदी के परिणामों को झेल कर आने वाले कल में एक बार फिर एक सुन्दर-मजबूत और अकल्पनीय जापान के निर्माण को अग्रसर हों,ऐसी हमारी कामना है....हमारे जापानी भाईयों,विपदा की इस अभूतपूर्व घडी में हजारों मील दूर बैठे हम सब आपके साथ हैं...!!!!

1 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

ईश्वर मानवता की रक्षा करे

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