बुधवार, 9 मार्च 2011

'शराबी ब्लॉगर्स' को धोबी पिछाड़ मारने का सुअवसर

अन्तराष्ट्रीय शराबी ब्लॉगर्स मीट
(बाएं से उड़न खटोला, बुझा दीपक, वनिल पुसदकर ) 
बहुत पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी, 'टॉप 40 ट्रेजेडी किंग्स पर धावा बोलने का सुअवसर;' अभी वो मेरा मिशन पूरा हुआ. अब दुसरा मिशन है शराबी ब्लॉगर्स को धोबी पिछाड़ मारने का सुअवसर. कुछ ब्लॉगर्स ऐसे भी हैं जो ...ले शराबी है मगर हिंदी ब्लॉग जगत के कथित मठाधीशी से बाज़ नहीं आ रहे हैं.

शराब पर मेरा लेख जब साइंस ब्लॉगर्स पर छापा तो ये चुप्पी साध गए और कुछ ने तो किसी के ज़रिये से ये भी कहलवाया कि सलीम से कहो कि वह इस्लाम पर भी न लिखे और साथ ही सलीम शराब के ख़िलाफ़ भी न लिखे क्यूंकि चूँकि वे एक सम्मानित शराबी ब्लॉगर्स हैं इसलिए शराब के खिलाफ़ लिखना उनके द्वारा बनाई गयी ब्लॉग आचार संहिता के ख़िलाफ़ है

किसी ने ये कहा कि चूँकि शराब इस्लाम में हराम है और मुसलमानों को शराब पीने के लिए मनाही है इसलिए सलीम परोक्ष रूप में वह इस्लाम का प्रचार कर रहा है.

महिलाएं शराब को सख्त नापसंद करतीं हैं
मैं उन सभी महिला ब्लॉगर्स को यहाँ आमंत्रित करना चाहता हूँ कि वे यूपी खबर डाट इन पर अपने बहुमूल्य मत रखें कि क्या वाकई वे चाहती हैं कि शराबी इस पवित्र ब्लॉग नगरी के मठाधीश बने रहें. किसी बहन बेटी (महिला) को कैसा महसूस होता है जब उसका पति शराब के नशे में धुत्त होकर घर वापस आता है. ठीक वैसा ही वह ब्लॉग परिवार में बैठे शराबी ब्लॉगर्स के ख़िलाफ़ मेरी मुहीम में साथ दें.

अब इस मुद्दे पर जो साथ न दे वह तो ठीक उसी तरह हुआ कि वह रहता हो गोमती नगर, लखनऊ में और मायावती को कोसे दे कि उसने गोमती नगर को इतना खूबसूरत बनाने में पैसा खर्च कर डाला और क्यूँ बना दिया खुबसूरत घुमने का स्थल , भले ही वह अपने परिवार, गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के साथ गोमती नगर में अम्बेडकर पार्क में घुमने आये, ताज़ी हवा ले, जोगिंग करने जाए ! मगर मायावती को कोसने में कोई कसर न छोड़े.

तो अगर आप ब्लॉगर होने के नाते अगर शराब के ख़िलाफ़ लिखते या बोलते हों तो यहाँ पर अपना मत ज़रूर रखें.

4 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

समाज में बहुत तरह के लोग रहते है सलीम भाई.......... एक दिन मैं किसी ब्रह्माण्ड के संगठन पर चला गया, बनाये है ब्रह्माण्ड का संगठन और बाते देखिये जैसे महिलाओ की कोई किट्टी पार्टी चल रही हो.. क्या लिख रहे है जनाब लोग......... हद तो यह है की बकायदे प्रेस वार्ता भी हो रही है. पूरे ब्रह्माण्ड को होली मय करके रखे है... यही नहीं घोड़े पर बैठकर ब्रह्माण्ड की सैर भी करेंगे..... भैया बड़े लोंगो के चोचले है. पत्रकारों का क्या है. खिलाओ-पिलाओ बेचारे पहुँच ही जायेंगे. .... हमरा तो झटका लाग गईल इन लोगन की बतिया सुनकर......... बकायदे देवर भौजी की तरह मजाकौ कर रहे है.......... क्या बात है जब एस ही करना है टी जमकर पीओ खाओ मस्त रहो लेकिन भैया ई लेखन जैसे पवित्र पेशा को बदनाम तो मत करो..... और जरा प्रचार तो देखिये........... कमला पसंद की तरह " नकली से सावधान" असली का ठेका भी ले लिये...... वाह भाई क्या बात है.. भैया हम इंतजार कर रहे है की कब ओसामा बिन लादेन, जार्ज बुश, ओबामा....... आदि-आदि सहित.......... मंगल गृह और उ का होत है, हा एलियन कब आते है...... भाई ब्रह्माण्ड है तो आयेंगे ही......... अच्छा उन्हें बुराई भी सुनना पसंद नहीं, जो तारीफ करे वही आये नहीं तो भैया राम-राम..... भैया हम गए थे डर के तारीफ ही कर दिए..... अब कौन झगड़ा करे, वैसे भी हमें लोग गरिया ही देते है...... सोचते है हम भी चले वही एक प्यारी सी भाभी मिल जाएगी......... अब इस उअमर में कुछ-कुछ हमरा भी मनवा बहक जाता है भैया लोगन माफ़ कर दिही.
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सलीम भाई, एक अच्छी पोस्ट के लिए बधाई....... जो फोटो आपने छापा है वह भारतीय संस्कृति का मजाक है. ऐसे लोंगो का बहिस्कार होना चाहिए...... जो लोग लेखन जैसे पवित्र कार्य को बदनाम करते है उनका बहिस्कार होना चाहिए..... पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण करने वाले ऐसे लोंगो से नम्र निवेदन है... "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर आकर भारतीय संस्कृति को बदनाम न करे.. हम सिर्फ उन्ही को पसंद करते है जिनके अन्दर प्रेम,ममता. भाईचारा, आपसी सौहार्द, एक दूसरे के प्रति सम्मान और समाज को सही दिशा दिखाने की क्षमता हो.. ताकि हम लोंगो के जाने के बाद भी कोई इस ब्लॉग पर आये तो उसे लगे की यहाँ पर सुलझे हुए लोग रहते है....
एक बार पुनः आपको बधाई शुभकामना..

बेनामी ने कहा…

tujhko mirchii lagee to main kyaa karoon

किलर झपाटा ने कहा…

ओय सलीम पुत्तर, जरा पीने वालों के लिए अदब कायदे की जुबान का यूज किया करो। एक शेर सुनो इस पर ...
मशवरे होते हैं जो शैखो-बिरहमन में सलीम,
रिंद बैठे हुए सुन लेते हैं मयखाने में॥

शराब एक बहुत ही खूबसूरत इल्म, जज्बा और न जाने क्या क्या है! तुम या तुम्हारी ये कथित माँ बहने इसे समझ ही नहीं सकतीं। और तो और तुम भी इन माँ बहनों को गलत समझ रहे हो। अरे भाई, वो तो इसलिए दुखी होती हैं कि उनके पति या पिता या भाई वगैरह अकेले अकेले पी के आ जाते हैं और उनके लिए नहीं लाते। अण्डर्स्टुड। बुद्धू कहीं के। इतना भी नहीं समझते। ब्लॉगरों को शराबी कहते हो। हाँ नहीं तो।

मंगल यादव ने कहा…

बहुत अच्छा लेख है सलीम भाई।

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