सोमवार, 7 मार्च 2011

मैं प्रेरित तुम प्रेरणा मेरी,तुम साधना मैं साधक तुम्हारा


376—46-03-11

मैं  प्रेरित  तुम प्रेरणा मेरी

तुम साधना मैं साधक तुम्हारा
तुम प्रश्न , मैं उत्तर  उसका

तुम साज़ मैं  संगीत तुम्हारा
तुम चाँद मैं  उजाला उसका

तुम  बिन जीवन मेरा अधूरा
हर पल  मेरा अब  तुम्हारा

संसार बिन  तुम्हारे  अधूरा
बिन  तुम्हारे निरंतर रुकता

हर कदम अब उसका ठहरता
गतीमान भी अगती रहेगा

मोक्ष उसे कभी ना मिलेगा
म्रत्युप्रांत भी रोता रहेगा
07—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

(अगती =मरने के बाद जिसकी गति (मोक्ष प्राप्ति) हुई हो)

1 टिप्पणियाँ:

rubi sinha ने कहा…

आप की रचना कुछ न कुछ सन्देश देती है., शुभकामना.,

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