ज्ञान के लिए चाहिए साधना और संयम और उसकी प्राप्ति के लिए चाहिए यम नियम. जोकि यहाँ कम लोगों में है और नारियों में भी हरेक में नहीं है . होलिका और पुराणों के बारे में ऋषि दयानंद के विचार आज मार्गदर्शक हैं परन्तु हठ और दुराग्रह के कारण लोग नहीं मानते वरना हरे तो छोडो सूखे लक्कड़ कंडे भी कहीं न जलाये जा रहे होते , फ़ालतू की आग जलाकर वैश्विक ताप में वृद्धि क्यों की जा रही है ? इस पर भी विचार आवश्यक है .
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ज्ञान के लिए चाहिए साधना और संयम और उसकी प्राप्ति के लिए चाहिए यम नियम.
जोकि यहाँ कम लोगों में है और नारियों में भी हरेक में नहीं है . होलिका और पुराणों के बारे में ऋषि दयानंद के विचार आज मार्गदर्शक हैं परन्तु हठ और दुराग्रह के कारण लोग नहीं मानते वरना हरे तो छोडो सूखे लक्कड़ कंडे भी कहीं न जलाये जा रहे होते , फ़ालतू की आग जलाकर वैश्विक ताप में वृद्धि क्यों की जा रही है ?
इस पर भी विचार आवश्यक है .
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