मंगलवार, 1 मार्च 2011

दिल से दिल मिलाया करो,कभी कभी मुस्कराया करो





कभी तो
किसी की सुना करो
हर वक़्त
गिला ना किया करो
अन्दर ही अन्दर ना
घुटा करो
रंज दिल में ना
रखा करो
बात दिल की कहा
करो
दिल से दिल मिलाया
करो  
कभी कभी मुस्कराया
करो
निरंतर ज़िन्दगी जिया
करो
01-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर

4 टिप्पणियाँ:

saurabh dubey ने कहा…

अच्छी कविता

mridula pradhan ने कहा…

कभी कभी मुस्कराया
करो
bahut achchi lagi.

Shikha Kaushik ने कहा…

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

भारतीय ब्लॉग लेखक मंच ने कहा…

आपकी कविता पढ़कर कोई कह सकता है कि ...... न सुर न ताल........ पर मैं आपके शब्दों में छुपे भावो को महसूस कर रहा हूँ,,,, बहुत सुन्दर रचना ... आभार......

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