कभी तो
किसी की सुना करो
हर वक़्त
गिला ना किया करो
अन्दर ही अन्दर ना
घुटा करो
रंज दिल में ना
रखा करो
बात दिल की कहा
करो
दिल से दिल मिलाया
करो
कभी कभी मुस्कराया
करो
निरंतर ज़िन्दगी जिया
करो
01-03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
भारतीय ब्लोगरों तथा लेखकों का एक सशक्त परिवार
4 टिप्पणियाँ:
अच्छी कविता
कभी कभी मुस्कराया
करो
bahut achchi lagi.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
आपकी कविता पढ़कर कोई कह सकता है कि ...... न सुर न ताल........ पर मैं आपके शब्दों में छुपे भावो को महसूस कर रहा हूँ,,,, बहुत सुन्दर रचना ... आभार......
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