रविवार, 13 मार्च 2011

बदलता गायकी का सुर


            
अवनीश कुमार
मैं एक दिन राहत फतेह अली खान का एक गाना सुन रहा था। गाना काफी अच्छा था और वह  इस समय काफी सुना भी जा रहा है। तभी अचानक मेरे पापा आ गये और मुझे कहने लगे तुम ये क्या सुन रहे हो। गाने तो हमारे समय में होते थे। जब मोहम्मद रफी, मुकेश, महेन्द्र कपूर जैसे गायक थे। जो पूरे दिल से किरदार के अंदर जाकर गाना गाते थे। मैं अपने पापा को कहने लगा कि मैं भी मानता हूं, वह महान गायक थे। उनकी आवाज में अलग रस था, लेकिन आज के गायक भी बेसुरे नहीं होते हैं। आज समय बदल रहा है।
मैं भी पहले उदित नारायण, सोनू निगम व कुमार शानू जैसे गायकों को सुनता था। मुझे लगता था कि यें रफी साहब व मुकेश के विकल्प बनकर आ गये हैं, लेकिन मेरी सोच गलत थी। क्योंकि कोई किसी की जगह नहीं ले सकता है। सबकी अपनी-अपनी शैली है और केवल उन्ही के लिए है। हां इतना जरूर होता है कि सबका अपना समय होता है और एक निश्चित समय के बाद उनकी जगह कोई ओर ले लेता है। आज समय यह है कि उदित नारायण व कुमार शानू के गाने हमें शायद ही आज की किसी फिल्म में सुनने को मिले। जबकि पहले कोई भी फिल्म एसी नहीं होती थी। जिनमें इनके द्वारा गाया गाना न हो। आज हम लोग शान, केके, कैलाश खेर व राहत फतेह अली खान जैसे गायकों को सुनते है। अगर हम देखें तो यें गायक बहुत ही अच्छा गा रहे है और इन्हें बहुत लोग पसंद भी करते हैं। यही बात गायिकाओं पर भी लागू होती है। हम गायिकाओं में देखें तो पहले अलका याज्ञनिक, कविता कृष्णामूर्ति व अनुराधा पौडवाल जैसी गायिकाओं का राज चलता था। पर अब लोग श्रेया घोषाल,ममता शर्मा व सुनिधि चौहान जैसी गायिकाओं को पसंद कर रहे हैं। हालांकि इन सबसे अलग अपवाद के रूप में जगजीत सिंह व आशा भोसले, लता मंगेशकर जैसे गायक भी हैं। जिन्हें लोग हर समय पसंद करते हैं।
 आज सूफी गायन का दौर चल रहा है औऱ लोग इसे पसंद कर रहे है। इसके बीच एक बात यह भी है कि आज लोग किसी भी गायक को ज्यादा दिन तक याद नहीं रखते हैं। पहले कुछ दिन तक हिमेश रेशमिया को लोग सुन रहे थे, तो अब राहत फतेह अली खान जैसे गायकों का जादू है। इसके अलावा पंजाबी गायकों ने भी लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
यह एक ट्रेंड है जिसे हम सामाजिक बदलाव भी कह सकते है। लोगों की एक सोच होती है जो लगातार बदलती रहती है। हम सभी जानते हैं कि पहले के गायक महान गायक थे, लेकिन आज की नई पीढी शायद ही उनको सुनती हो। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आज ज्यादा कंपीटिशन है औऱ हर गायक के पास कुछ अलग है। दूसरा यह भी हो सकता है कि आज उनके पास ज्यादा विकल्प है।

4 टिप्पणियाँ:

हरीश सिंह ने कहा…

अविनाश जी, आपको निमंत्रण भेजा गया है आपने अभी तक स्वीकार नहीं किया खुद ही पोस्ट लगाये तो और अच्छा लगेगा. हम आपकी सहायता के लिए हमेशा तैयार हैं. अच्छी पोस्ट बधाई.

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सागर नाहर ने कहा…

पापाजी का कहना भी गलत नहीं और आपका भी नहीं लेकिन एक बात है उस जमाने में गायक सिर्फ अपनी आवाज से उतने लोकप्रिय नहीं हो पाते अगर नौशाद साहब, अनिल विश्वास, रोशन, खेमचन्द प्रकाश और उन जैसे कई संगीतकारों ने अपनी धुनों को उतना मधुर नहीं बनाया होता।
इन सभी महान संगीतकारो ने भारतीय लोक संगीत को बड़ी ही सुन्दरता से अपनी धुनों में समावेश किया और उन्हें गाकर गायक अमर हो गए। कई तो ऐसे गीत हैं जिनके संगीतकारों का आज कोई नाम भी नहीं जानता होगा लेकिन उनके गीतों को आज भी हम गुनगुनाते हैं।
आजकल के संगीतकार प्रेरणा लेते हैं पाश्चात्य संगीत से, और हमारा अवचेतन मन भारतीय लोक संगीत में रचा-बसा है सो हम फॉर ए चेंज नये गानों को सुन तो लेते हैं लेकिन उन्हें सालों तक सुनते नहीं रहते।
आज भी हम नागिन, महल, मधुमति, दो आँखे बारह हाथ और भाभी जैसी फिल्मों के गीत साठ- पैसंठ साल बाद भी सुनते-गुनगुनाते रहते हैं लेकिन हम आपके हैं कौन, साजन, राजा हिन्दुस्तानी और धड़कन जैसी फिल्मों को महज एक दशक में भूल से गए हैं।

और हाँ मेरे (15-20000) गानों के संकलन में कई ऐसे गीत हैं जो पचास- साठ के दशक के हैं, महान संगीतकारो के हैं और महान गायकोण ने गाए हैं लेकिन एकदम बेसुरे हैं। कई बार सोचता हूं इतने महान गायकों को ऐसे गीत गाने की ऐसी भी क्या जरूरत पड़ी होगी। और आज के समय में भी कई मधुर गीत कभी कभा सुनने को मिल ही जाते हैं।
ओह... लिखते लिखते ध्यान ही नहीं रहा कि टिप्प्णी तो पोस्ट से भी लम्बी होती जा रही है।
बढ़िया पोस्ट पढ़वाने के लिए धन्यवाद।
॥दस्तक॥,
गीतों की महफिल,
तकनीकी दस्तक

Atul Shrivastava ने कहा…

अच्‍छी पोस्‍ट।
सच में समय के साथ लोगों की पसंद बदलती है और नए गायक उभरते हैं पर पुराने दौर के गानों और गायकों का मुकाबला अब कहां।

Atul Shrivastava ने कहा…

अच्‍छी पोस्‍ट।
सच में समय के साथ लोगों की पसंद बदलती है और नए गायक उभरते हैं पर पुराने दौर के गानों और गायकों का मुकाबला अब कहां।

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