मंगलवार, 1 मार्च 2011

कह तो दो




पलक पावढ़े ...बिछा दूंगी 
तुम आने का.. वादा तो दो 
धरा सा  धीर... मैं धारुंगी 
गगन बनोगे... कह तो दो 
पपीहे सी प्यासी. रह लूँगी 
बूंद बन बरसोगे कह तो दो 
रात रानी सी ..महक  लूँगी 
चाँदनी लाओगे कह तो दो 
धरा सा  धीर... मैं धारुंगी
गगन होने का वादा तो दो 

जीवन कागज सा कर लूँगी 
हर्फ बन लिखोगे.कह तो दो 
बूंद बन कर... बरस जाउंगी 
सीप सा धारोगे.. कह तो दो 
हर मुश्किल से ...लड़ लूँगी 
हिम्मत बनोगे.. कह तो दो 
पलक पावढ़े..... बिछा दूंगी 
तुम आने का... वादा तो दो 

चिड़ियों सी मैं... चहकुंगी 
भोर से खिलोगे. कह तो दो 
गहन निद्रा में ..सो जाउंगी 
स्वप्न बनोगे... कह तो दो 
फूलों सी काँटों में हँस लूँगी 
ओस बनोगे .....कह तो दो 
धरा सा धीर ....मैं धारुंगी 
गगन बनोगे.... कह तो दो

6 टिप्पणियाँ:

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

भारतीय ब्लॉग लेखक मंच ने कहा…

हम तुम्हे चाहते है ऐसे, मरने वाला कोई जिन्दगी चाहता हो जैसे............यह किसी फिल्म का गाना है नाम मुझे याद नहीं..... पर यह गाना हमें बहुत ही अच्छा लगता था........ यह दो आत्माओ के अभिव्यक्ति कि सच्ची पराकाष्ठा थी.. एक दूसरे के प्रति सपर्पण कि............. मैं सोचता था यह गीत दुबारा नहीं बन सकता किन्तु कहने को मजबूर हूँ उन्ही भावो को अभिव्यक्त करते हुए यह गीत बहुत ही सुन्दर है......... धन्यवाद इतनी अच्छी रचना के लिए.......

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति

Durga Datt Chaubey ने कहा…

सुंदर, अति सुंदर!

shyam gupta ने कहा…

सुन्दर व सार्थक रचना
--..क्या यह समर्पण भाव...नारी का स्थान उच्च करता है या गिराता है...निश्चय ही उठाता है... यह समर्पण भाव दोनों ओर से है जो स्त्री-पुरुष की समानता के साथ समन्वय की कथा कहता है जहां न कोई ऊंचा है न नीचा....उठ जाता है समाज...

Alokita Gupta ने कहा…

Aap sabhi sresth jano ka tah-e-dil se shukria hausla afjai ke liye

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