मेरा पैसा
मेरी अमानत
मेरा हक
कहां मिला मुझे ?
वो तो बन्द है
स्विस बैंकों में
जो बचा है
वह तो
ठेलों पर
फूटपाथों पर
बंजर खेत-खलिहानों
और
भष्ट्र अधिकारी/ नेताओ
की जेबों में है
फिर भी पेट भरा नही
दाल, चावल, तेल, आटा, सब्जी-
भी छीन रहे
महंगायी की आड़ में
जेब खाली
पेट खाली
खाली पड़ा मकान है
जिसमें बीवी, बच्चों के रहने पर भी
घर सूनसान है।।
-मंगल यादव, नोएडा
सोमवार, 7 मार्च 2011
घर सूनसान है
3/07/2011 05:54:00 pm
mangal yadav
4 comments
4 टिप्पणियाँ:
सुन्दर कविता.
दाल, चावल, तेल, आटा, सब्जी-
भी छीन रहे
महंगायी की आड़ में
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अच्छी प्रस्तुति.
379—49-03-11
हिन्दुस्तान को मिस्र बनना होगा
हिन्दुस्तान
का हाल खराब होता रहेगा
इमानदार रोता रहेगा
गरीब गरीब रहेगा
अमीर और अमीर बनेगा
दौलत वालों का कुछ ना होगा
गरीब हर रोज़ मरेगा
जब तक नेताओं का राज रहेगा
घर खाली होता रहेगा
घर को भरना है तो
नेताओं से मुक्त करना होगा
हिन्दुस्तान को मिस्र
बनना होगा
हर देशवासी को निरंतर
लड़ना होगा
07—03-2011
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
स्वागत, अच्छी रचना.
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