शोहरत और नामवरी की ख़्वाहिश मामूली ज़हन रखने वालों की एक खुली हुई कमजोरी है और बड़े बुद्धिजीवियों की गुप्त कमज़ोरी है ।
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शोहरत और नामवरी की ख़्वाहिश मामूली ज़हन रखने वालों की एक खुली हुई कमजोरी है और बड़े बुद्धिजीवियों की गुप्त कमज़ोरी है ।
3 टिप्पणियाँ:
Sundar.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
है तो सबकी न जनाब...... कौन है जो शोहरत नहीं चाहता.
aapki bhi hogi janab.
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