भारतवर्ष का धर्म उसके पुत्रों से नहीं , उसकी संस्कारवान कन्याओं से ठहरा हुआ है | यदि भारत की रमणियाँ अपना धर्म छोड़ देतीं तो अब तक भारत नष्ट होगया होता |
---महर्षि दयानंद सरस्वती .....
भारतीय ब्लोगरों तथा लेखकों का एक सशक्त परिवार
4 टिप्पणियाँ:
आपने पुराने कथन को पुन: दोहराकर एक मीठी याद से परिचय करा दिया।धन्यवाद!
शायद!
धन्यवाद कुनाल जी व अभिव्यक्ति---पुरो वाक पुनः पुनः दोहराने से ही नयी राहें प्राप्त होती हैं....
देखने में छोटी पर महत्वपूर्ण, बहुत उम्दा सन्देश, बधाई.
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