मंगलवार, 1 मार्च 2011

ग़लतफ़हमियाँ कैसी कैसी ?

Comment's garden: ब्लागर अपर्णा पलाश का नहीं बल्कि यह शेर मेरा है जो...: "@ भाई समीक्षा सिंह जी ! आप लोग मेरी रचनाओं को ठीक ढंग से नहीं पढ़ते इसीलिए आप मुझसे बदगुमान और परेशान रहते हैं । अपर्णा पलाश बहन का कोई भी शे..."

5 टिप्पणियाँ:

Mithilesh dubey ने कहा…

कृपा करके पूरा लेख प्रकाशित करें. आधा लिखकर आगे पढने के लिए और कहीं बुलाना अच्छा नहीं लगता . ये मेरा सभ लेखक गण से निवेदन है .

Mithilesh dubey ने कहा…

दूसरी बात अनवर भइया ये है कि आप इस तरह के व्यक्तिगत विवाद ये लेख अपने ब्लॉग तक ही सिमित रखें तो आभार होगा आपका. इससे मंच के सार्थकता में गिरावट आती है. आप बुद्धिमान हैं, उम्मीद करता हूँ आप मेरे बातो का बुरा नहीं मानेंगे और समझेंगे .

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

आपकी बात का बुरा मैं क्यों मानूंगा भला ?
अगर हरीश जी भी आपकी राय से सहमत हैं तो किसी व्यक्ति से संबंधित लेख मैं इस ब्लॉग पर नहीं डालूंगा जो कि इसके हित में है ।
AIBA पर खुद आप लोग कल केवल शीर्षक मात्र डालकर पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ बुलाकर लाए थे?
आप ख़ुद जो काम करते हैं उससे मुझे क्यों रोक रहे हैं ?
यह मैं आपसे जरूर पूछूंगा ।

हरीश सिंह ने कहा…

अमां यार अनवर भाई आप नाराज़ क्यों हो जाते है. भैया मैंने पहले ही कहा है. इस परिवार के मालिक आप ही लोग हैं. हम तो मात्र एक चौकीदार हैं. अपने घर को कोई छोड़कर जाता है जनाब.......... भैया आप स्वतंत्र हैं.... मिथिलेश जी आपसे निवेदन है की शब्दों में लचीलापन लायें... किसी बात को कहने से पहले उनके शब्दों के भावो पर भी ध्यान देना चाहिए....... आपस में प्रेम अच्छा लगता है.... न की दरार ...

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

@ भाई हरीश सिंह जी ! आप दोनों से मैं नाराज हो नहीं सकता और न ही आप दोनों को छोड़ ही सकता हूँ और जो कुछ भी मैं यहाँ लिखता हूँ उसके पीछे एक सिद्धांत होता है जिसे आप जानते भी हैं और मानते भी हैं और उसका लाभ इस प्यारे मंच को मिलता भी है। मैं कुछ अलग हटकर सोचता हूँ । जिस बात को लोग ब्लाग के लिए घातक समझते हैं मैं उसे ब्लॉग के हिट होने की गारंटी मानता हूँ । LBA और HBFI दोनों आपके सामने हैं ।
HBFI पर तो मेरे ब्लॉग का एक सदस्य समीक्षा सिंह मुझे रोजाना गालियाँ देता रहता है और मैं हँसकर टाल देता हूँ ।
क्यों टाल देता हूँ ?
इस बात को हरीश जी जानते हैं। वहाँ कोई अपने ब्लाग का लिंक देकर मेरे साझा ब्लॉग के पाठकों को अपने ब्लॉग पर खींच रहा है । खींच ले भाई । हममें वह हुनर है कि हमारा पाठक उस लेख को पढ़कर फिर वापस आ जाता है कहीं भी भाग नहीं पाता । जो मुझसे नफरत करते हैं उन ब्लॉगर्स को भी मैंने मजबूर कर रखा है कि पढ़ो मेरा ब्लॉग । बेचारे पढ़ते रहते हैं और मैं अपने Stats में सबको देखता रहता हूँ । लोग तमाशा देखना चाहते हैं बस। अगर उन्हें तमाशा उनके दुश्मन के ब्लॉग पर मिलेगा तो ये वहाँ जाने पर मजबूर होंगे । जो कोई यहाँ जो भी तमाशा लाए उसे लाने दो वह आपका कोई नुक़्सान नहीं कर रहा है। ज्यादा नियम शियम आदमी को आपसे दूर ही करेंगे । ऐसा मेरा शोध है ।

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification