मन कि बात-- परिवार के साथ
यदि किसी का नाम फकीरचंद रख दिया जाय तो वह फकीर नहीं हो जाता.. बल्कि अपने कर्मो से सेठ फकीरचंद हो जाता है. वैसे ही करोड़ीमल नाम रखने से कोई करोडपति नहीं हो जाता... मै जब 1985 में हाईस्कूल में था तो मेरे साथ एक सहपाठी था.. उसके माँ-बाप ने उसका नाम कलक्टर रखा था .. वह आजकल कालीन बुनाई का कम करता है. मेरे कहने का अभिप्राय है की नाम से नहीं बल्कि व्यक्ति कर्म से जाना जाता है.
आदरणीय रेखा जी के शब्दों में.."नाम में कुछ नहीं रखा है बल्कि ब्लॉग कि सार्थकता तो उसमें आने वाले लेखो और उसकी उपयोगिता और सबको बांधने वाली भावना में है. जो भाव इसके बारे में आपने व्यक्त किये हैं बहुत अच्छे हैं. LBA के विरोधी होने कि बात तो छोटी मानसिकता कि सोच हो सकती है. सब फलें फूलें और सब एक बगिया कि तरह से साथ साथ महकें."
हमारी एकता कि झलक भाई अनवर जमाल खुद देते हैं. ""'प्रेम और एकता किसी को देखनी और सीखनी हो तो वह LBA परिवार के सदस्यों के आचरण को देख सकता है ।'""और यही बाते सलीम भाई भी कहते है..
आपने जो आशीर्वाद दिए, विचार व्यक्त किये है वह हमारे लिए प्रेरणादायक है.. मैं भी इसी बात को मानता हूँ कि भावना पवित्र होनी चाहिए. और हम उसी भावना के तहत कार्य करते रहना चाहते है.. मेरी मंशा सिर्फ एक मंच बनाने कि नहीं रही बल्कि एक ऐसा ब्लागर परिवार बनाने कि रही जिसमे आपसी भाईचारा, प्रेम, सौहार्द, गंगा-जमुनी तहज़ीब हो,..सभी कि भावनाओ का सम्मान हो.. यही वजह रही कि इस परिवार में हमने किसी को पद के दायरे में नहीं बांधा.. बल्कि सभी को बराबरी का दर्ज़ा दिया, सभी को अपना संरक्षक माना... संयोजक के रूप में हम और हमारे छोटे भाई मिथिलेश दुबे जी सिर्फ एक चौकीदार कि भूमिका निभा रहे हैं. ..
जब हमने इस सामुदायिक ब्लाग का नाम उत्तरप्रदेश ब्लागर असोसिएसन रखा तो कुछ लोंगो को नाम पर आपत्ति हुयी, वही बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश व अन्य जगहों के ब्लागर भाईयो ने इसे एक प्रदेश के दायरे में बाँधने कि बात कही. जब इसका नाम यूपीखबर किया तो एतराज़ और भी बढ़ गया.. हमारे पास कई ब्लागर भाइयो के फ़ोन व मेल आये. कई लोंगो से विचार विमर्श के बाद हमने फिर यह परिवर्तन किया, अब यह अंतिम परिवर्तन है...
अब सभी भाइयो से नम्र निवेदन है कि नाम बदलने से कर्म नहीं बदलते, भावनाए नहीं बदलती, भारतीय ब्लॉग लेखक मंच सिर्फ एक सामुदायिक ब्लॉग ही नहीं बल्कि भारतीय परम्पराओ को , भारतीय संस्कृतियों को जिवंत रखने लिए एक बृहद परिवार है.. लिहाजा नाम के विवाद में न पड़कर एकता का परिचय दे. इसे एक ऐसा मंच बनाये जिससे यह संयुक्त ब्लॉग दुनिया में प्रेम और भाईचारे का प्रतीक बने. ....
आपसे निवेदन है कि राजनैतिक, सामाजिक, अध्यात्मिक लेख के अलावा अपने प्रदेश, जनपद व क्षेत्र कि महत्वपूर्ण खबरे, ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के लेख, अपने संस्मरण, आपबीती, साथ ही अपने मन के उन भावों को भी लिखे जो आप व्यक्त नहीं कर पाते, ताकि पूरे देश की संस्कृति की झलक पूर्ण जानकारी सहित इसी मंच पर सभी को मिले,,
4 टिप्पणियाँ:
नाम में क्या रखा है।
काम बडा होना चाहिए और वह यहां हो रहा है।
हरीश जी नाम बदलने के लिये बहुत धन्यवाद
what is in the name ...sir ji....
नाम में बहुत कुछ है । नाम रखने के लिए लोगों को पंडित बुलाना पड़ता है लेकिन हरीश जी को कोई टेंशन नहीं है क्योंकि पंडित जी तो उनके साथ ही हैं चाहे जब उनसे पूछ लो तुरंत अच्छा सा नाम बता देंगे ।
Good job.
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